scriptInsensitivity : इलाज के लिए 14 घंटे तक भटकने के बाद गर्भवती के साथ मासूम की भी चली गई जान | Insensitivity: After wandering for 14 hours for treatment, the pregnant also lost his life. | Patrika News

Insensitivity : इलाज के लिए 14 घंटे तक भटकने के बाद गर्भवती के साथ मासूम की भी चली गई जान

locationनई दिल्लीPublished: Jun 07, 2020 11:46:32 am

Submitted by:

Dhirendra

 

नोएडा-गाजियाबाद के 8 अस्पतालों ने इलाज से किया इनकार।
खोड़ा के आजाद विहार में रहने वाली नीलम का टाइफायड का इलाज चल रहा था।
गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। सीएमओ और एडीएम इसकी जांच करेंगे।

Pregnant lady death

नोएडा-गाजियाबाद के 8 अस्पतालों ने इलाज से किया इनकार।

नई दिल्ली। एक तरफ केंद्र से लेकर राज्य सरकारें दावा करती हैं कि इलाज के बिना किसी की जान नहीं जाएगी। दूसरी तरफ नोएडा-गाजियाबाद ( Noida-Gaziabad ) में इलाज के लिए 14 घंटे तक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल की ठोकर खाने के बाद एक गर्भवती की जान चली गई। उसी के साथ इस दुनिया में आने से पहले मासूम ने भी गर्भ में दम तोड़ दिया।
मानवीय संवेदनहीनता ( Human Insensitivity ) का दुखद पहलू यह है गर्भवती का पति ने अपनी पत्नी का इलाज कराने के लिए नोएडा-गाजियाबाद में 8 अस्पतालों के दरवाजे पर दस्तक दिया लेकिन सभी ने इलाज करने से इनकार कर दिया। नौवें अस्पताल के लिए निकला ही था कि गर्भवती ने एम्बुलेंस में दम तोड़ दिया। इस घटना की सूचना मिलने पर डीएम एलवाई सुहास ( DM LY Suhas ) जांच के आदेश दिए हैं।
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टाइफायड से पीड़ित थी महिला

दरअसल, खोड़ा के आजाद विहार ( Khoda-Azad Vihar ) में रहने वाली नीलम (30) का टाइफायड का इलाज चल रहा था। शुक्रवार सुबह तबीयत खराब होने पर उसे नोएडा ईएसआईसी अस्पताल ले जाया गया। नीलम के पति विजेंद्र सिंह का कहना है कि वहां भर्ती न किए जाने पर पहले जिला अस्पताल और फिर फोर्टिस, जेपी, शारदा व ग्रेटर नोएडा के जिम्स ले गए। मगर इलाज नहीं मिला। वैशाली स्थित मैक्स से भी मायूसी मिली। तब तक नीलम जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थी। इसके बाद परिजन दोबारा जिम्स की ओर चले, मगर इस बीच एंबुलेंस में उसकी सांसें टूट गईं।
एडीएम और सीएमओ करेंगे मामले की जांच

इस मामले में गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा कि यह एक गंभीर ( Serious Case ) मामला है। सीएमओ और एडीएम इसकी जांच करेंगे। दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी। अस्पतालों को संवेदनशील होने की जरूरत है। मरीज को आपात स्थिति में इलाज मिलना चाहिए। सभी अस्पतालों को इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं।
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8 अस्पतालों ने किया भर्ती से इनकार

नीलम के पति विजेंद्र का आरोप है कि अस्पतालों ने भर्ती करने से ही इनकार कर दिया। पूरे दिन कोशिश के बाद भी अपनी पत्नी नहीं बचा सका। रोते हुए विजेंद्र ने कहा कि अगर कोई देख लेता तो वह बच जाती। विजेंद्र के भाई शैलेंद्र के मुताबिक जिम्स में एक चिकित्सक ने शव ले जाने के लिए उनकी मदद की और एंबुलेंस ( Ambulance ) की व्यवस्था कराई। फोन करने पर सरकारी एंबुलेंस 4 घंटे बाद आई।
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