नई दिल्ली। उरी में आर्मी बेस पर आतंकी हमले से तीन दिन पहले ही खुफिया एजेंसियों ने सेना को अलर्ट जारी किया था। एजेंसियों ने सेना को एलओसी के पास लश्कर के 8 आतंकी मौजूद होने और उरी में सैन्य बेस को टारगेट करने से संबंधित इनपुट दिए थे। उरी में सेना के हेडक्वार्टर पर हुए हमले में 18 जवान शहीद हुए थे। सेना ने चार आतंकियों को मार गिराया था। उरी अटैक पिछले 26 साल में सैन्य ठिकाने पर सबसे बड़ा हमला था।
एक अंग्रेजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक 15 सितंबर को ही खुफिया एजेंसियों ने बता दिया था कि लश्कर के 8 आतंकी एलओसी पर मौजूद हैं। मौके का फायदा उठाकर आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल हो सकते हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि ये आतंकी उरी में आर्मी बेस पर हमला कर सकते हैं। लश्कर के 8 आतंकियों के साथ साथ दूसरे आतंकी संगठन भी लगातार उरी में सैन्य बेस की रैकी कर रहे थे। ये आतंकी 28 अगस्त से ऊंची जगह बैठकर नजर रख रहे थे।
एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि खुफिया अलर्ट सभी सुरक्षा बलों और सेना से भी साझा किया गया था। सूचना में सीधे तौर पर चेताया गया था कि आतंकी आर्मी बेस को निशाना बना सकते हैं। जम्मू कश्मीर जैसी जगह पर जहां हर वक्त जवानों को हाईअलर्ट रहना चाहिए वहां ऐसी कोताही चिंता का विषय है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की पुख्ता जानकारी के बाद सेना के बेस पर हमला होना लापरवाही है।
सैन्य मुख्यालय में जिस तरह आतंकी घुसने में कामयाब रहे वो पूरी तरह से लापरवाही को दर्शाता है। गौर करने वाली बात ये है कि खुद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी माना है कि उड़ी हमले में कहीं न कहीं चूक तो हुई है। खुफिया एजेंसियों ने एक बार फिर चेताया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाषण के बाद करीब 100 आतंकी सीमा में घुसपैठ करने को तैयार है।