डब्लूएचओ की मुहिम को झटका ट्रैफिक पुलिस की माने पिछले साल 15 सितंबर तक सड़क हादसों में जहां 469 लोगों की मौत हुई थी। वहीं इस साल 15 सितंबर तक यह तादाद बढ़कर 513 तक पहुंच गई है। यानी पिछले साल की तुलना में इस साल 44 लोगों की ज्यादा जाने गई हैं। ट्रैफिर पुलिस के इन आंकड़ों से डब्लूएचओ की मुहिम को झटका लगा है। डब्लूएचओ की मुहिम के तहत 2020 तक दिल्ली समेत पूरे देश में सड़क हादसों में 50 प्रतिशत तक की कमी लाने और सड़कों को राहगीरों और साइकिल सवारों के लिए सुरक्षित बनाने का लक्ष्य बनाया गया है।
इस जगहों पर हुए सबसे ज्यादा हादसे मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पैदल चलने वाले लोगों की मौत सबसे ज्यादा रिंग रोड, आउटर रिंग रोड, एनएच-8, एनएच-24, एनएच-1 जैसे हाईस्पीड सिग्नल फ्री कॉरिडोर्स पर हुए है। इसकी वजह लोगों को पैदल चलने के लिए सुरक्षित तरीके उपल्बध नहीं कराना है। इन जगहों पर पैदल सड़क पार करने के लिए फुट ओवरब्रिज, पैडस्ट्रियल सिग्नल, जेब्रा क्रॉसिंग, प्रॉपर लाइटिंग जैसी सुविधाओं की काफी कमी है।
राहगीरों के बाद साइकलिस्टों और टु वीलर सवार की मौत सबसे ज्यादा वहीं, राहगीरों के बाद सड़क हादसों में मरने वाली दूसरी सबसे बड़ी तादाद साइकलिस्टों और टु वीलर सवारों की है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस की सख्ती के बाद इन हादसों में कमी आई है। आंकड़ो के मुताबिक 15 सितंबर 2017 तक जहां सड़क हादसों में 52 साइकिल सवारों की मौत हुई थी। वहीं इस साल 39 लोगों की मौत हुई है। वहीं 371 बाइक और स्कूटर सवारों की मौत हुई, वहीं इस साल यह आंकड़ा घटकर 340 पर आ गया है। हांलाकि साइकलिस्टों और टु वीलर की इस रिपोर्ट से ब्लूएचओ की मुहिम को थोड़ी राहत मिली है।