
उत्तराखंड में रिकॉर्डतोड़ बारिश और ओलावृष्टि से फसलें हुईं बर्बाद
नई दिल्ली। देशभर में मौसम का मिजाज ( Weather forecast ) लगातार बदल रहा है। कई इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश ने अब भी जोर पकड़ा हुआ है। खास तौर पर पहाड़ी इलाकों में अभी भी बारिश ( Rain ) का दौर जारी है जो किसानों के लिए बड़ी मुश्किल बनता जा रहा है। एक तरफ लॉकडाउन ( Lockdown ) तो दूसरी तरफ मौसम। इस दोहरी मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है। उत्तराखंड ( Uttarakhan ) में हुई रिकॉर्डतोड़ बारिश ( Record Break Rainfall ) और ओलावृष्टि ( HailStorm ) ने फसलों ( Crop ) को चौपट कर दिया है।
भारतीय मौसम विभाग ( IMD ) की मानें तो मई के पहले हफ्ते में ही इस वर्ष का पहला चक्रवाती तूफान ( Cyclone ) भी विकसित हो रहा है। बंगाल की खाड़ी से उठने वाला ये तूफान भी कई इलाकों में परेशानी बढ़ा सकता है।
मौसम लगातार करवट बदल कर कई इलाकों में मुश्किलें बढ़ता जा रहा है। पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड में तो मौसम का कहर बदस्तूर जारी है। जोरदार बारिश ने यहां खड़ी फसलों को चौपट कर दिया है। बारिश के साथ ओलावृष्टि किसानों के लिए किसी कहर से कम नहीं है।
बे-मौसम हुई बारिश और ओलावृष्टि की वजह से किसान के फसलों को काफी नुकसान हुआ है। राज्य में बारिश ने कई सालों के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदेश में अप्रैल से मई महीने की शुरूआत तक 160 मिमि से ज्यादा बारिश हो चुकी है।
अप्रैल में पड़ी ही नहीं गर्मी
उत्तराखंड में इस बार बारिश ने कुछ जल्द ही अपना जोर पकड़ लिया है। अप्रैल महीने में ही बारिश शुरू हो जाने के कारण अब इस वर्ष गर्मी अब तक पड़ी ही नहीं है। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो अप्रैल महीने से मई शुरुआत तक उत्तराखंड में सिर्फ 80 मिमी तक ही बारिश हो ती है जबकि इस वर्ष ये आंकड़ा दोगुना है।
उत्तराखंड में बारिश और ओलवृष्टि की वजह से गेहूं की फसलें बर्बाद हो गईं और साथ ही फसल अच्छी होने की उम्मीद भी छिन गई है। इसके साथ ही आम, लीची, सेब, मॉल्टा, खुबानी, आड़ू की फसल को भी अच्छा खासा नुकसान हुआ है।
कोरोना जैसी महामारी कोरोना वायरस की मार झेल किसानों के लिए ये दोहरी मार है।
उधर भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है 7 मई तक बंगाल की खाड़ी में पश्चिम विभोभ गहरे निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा उसके बाद अगले 24 घंटों में यह डिप्रेशन बन सकता है।
7 मई तक इसका ट्रैक उत्तर पश्चिमी दिशा में रहेगा।
माना जा रहा है साल का पहला चक्रवाती तूफान 'अंफन' कई इलाकों में परेशानी खड़ी कर सकता है। हालांकि वैज्ञानिक इसे लेकर असमंजस की स्थिति में क्योंकि इसके प्रभावी होने की रफ्तार काफी धीमी है।
पहले अनुमान था कि 29 अप्रैल या उससे पहले ही निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाएगा, लेकिन इसकी धीमी चाल ने वैज्ञानिकों के पूर्वानुमान पर सवाल लगा रखा है।
Updated on:
04 May 2020 06:51 pm
Published on:
04 May 2020 05:40 pm
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