
justice dalveer bhandari
भारतीय मूल के दलवीर भंडारी आखिरकार दोबारा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के जज चुने गए हैं। अंतिम क्षणों में ब्रिटेन के उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड ने खुद को चुनाव की दौड़ से बाहर कर लिया। माना जा रहा है कि ब्रिटेन के इस कदम का लाभ भी दलवीर भंडारी को मिला है। मीडिया रिपोर्ट्स में माना गया है कि दलवीर भंडारी का अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में बतौर जज चुना जाना भारत की दुनिया में बढ़ते महत्व को दर्शाता है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर के बडे़ मुद्दों और अन्य देशों से सीमा विवाद जैसे बड़े फैसलों में भारत की भी अहम भूमिका रहेगी। जस्टिस भंडारी का जीतना पाकिस्तान की जेल में बंद कूलभूषण जाधव मामले में भी अहम भूमिका निभाएगा। बता दें, अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जाधव की फांसी की सजा को रोक दिया था। तब दलवीर भंडारी ने उसमें अहम भूमिका निभाई थी।
1. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य सकते में - माना जा रहा है कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के पद भारत के सदस्य दलवीर भंडारी की जीत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य सकते में हैं। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत की जीत एक मिसाल तय करेगी जो भविष्य में उनकी शक्ति को चुनौती दे सकती है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांचों स्थाई सदस्य- अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूके और चीन ग्रीनवुड के पक्ष में थे। इसके बावजूद भारत की जीत ने वैश्विक समुदाय को यह संकेत दिया है कि भारत अब महाशक्ति देश के तौर पर उभर रहा है।
2. पी 5 देशों के लिए चिंताजनक : आईसीजे में भारत की जीत से िब्रटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमरीका को उनकी अंतरराष्ट्रीय साख में कमी का अहसास हो सकता है। इसे वे ऐसी मिसाल के रूप में देख सकते हैं, जिसे वे कभी भी दुहराने के पक्ष में नहीं होंगे। उनको लगेगा, आज ब्रिटेन के साथ ऐसा हुआ है, कल किसी दूसरे के और फिर िकसी तीसरे सदस्य देश के साथ ऐसा होगा।
3. संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली का भारत के पक्ष में जाना नया समीकरण: 11 दौर के चुनाव में जनरल असेंबली के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन भारत के साथ रहना वैश्विक शक्ति संतुलन में नए समीकरणों का संकेत देता है। सुरक्षा परिषद में भारत के दलवीर भंडारी ग्रीनवुड के मुकाबले तीन मतों से पीछे थे। भारत लंबे समय से से मांग करता रहा है कि सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा में लोकतांत्रिक प्रक्रिया से फैसला लिया जाना चाहिए। किसी एक में हुए मतदान का असर दूसरे पर नहीं दिखना चाहिए। दोनों संगठनों को बराबर महत्व दिया जाना चाहिए। एक रिपोर्ट के अनुसार- दलवीर भंडारी की जीत के लिए भारत के प्रधानमंत्री विदेश मंत्री सहित कई परमानेंट मिशन ऑफ इंडिया टू यूएन के कई दिग्गजों ने अन्य देशों का समर्थन हासिल करने के लिए दिन-रात एक कर दिया था।
4. भारत की कूटनीतिक जीत : आईसीजे के लिए दलवीर भंडारी का चुने जाने को भारत की कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। आईसीजे के इतिहास में ये यह पहली बार होगा जब साल 1946 से ब्रिटेन का एक न्यायाधीश आईसीजे का हिस्सा नहीं होगा। इसके पीछे भी भारत की शानदार योजना मानी जा रही है। बता दें, ब्रिटेन ने भारत पर कई साल तक राज्य किया है। लेकिन इस बार भारत की वजह से ब्रिटेन का उम्मीदवार नहीं चुना गया है।
5. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य भी मुश्किल स्थति में : अंतिम क्षणों में लग रहा था कि ब्रिटेन अपने प्लान के मुताबिक हरकत करेगा और चुनाव के पहले दौर के बाद सुरक्ष परिषद की बैठक बुलाकर चुनाव की अगली प्रक्रिया को रोकने की मांग करेगा। साथ ही जॉइंट कांफ्रेंस मेकैनिज्म पर जोर देगा। सूत्रों के अनुसार ब्रिटेन सुरक्षा परिषद में जॉइंट कांफ्रेंस मेकैनिज्म पर जोर दे रहा था जिसका इस्तेमाल 96 साल पहले किया गया था। ब्रिटेन की इस चाल को भारत के पूर्व औपनिवेशिक शासन की ओर से खेली जा रही घटिया राजनीति से सुरक्षा परिषद के अन्य मेंबर असहज हो गए थे। लेकिन ब्रिटेन की ये चाल कामयाब नहीं हो पाई।
6. अमेरिका ने अंतिम क्षण में खुद को दौड़ से बाहर किया : अमरीका ने ये कहते हुए खुद को इस दौड़ से बाहर कर लिया था कि इससे संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली और सुरक्षा परिषद के समय की बर्बादी होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, नाटकीय घटनाक्रम में अमरीका के ऐसा करने ने इस महत्वपूर्ण दावेदारी के लिए भारतीय उम्मीदवार भंडारी की जीत के लिए रास्ता साफ किया। अपने बयान में रेक्राफ्ट ने कहा कि अमरीका ने निर्णय लिया था कि वे अपने सदस्य ग्रीनवुड का नाम पुन:चुनाव से वापस ले रहा है। उसका मानना था कि एक और चुनाव चरण को जारी रखने से संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली और सुरक्षा परिषद के समय की बर्बादी होगा। बता दें, संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के स्थाई प्रतिनिधि मैथ्यू रिक्रोफ्ट ने 12वें दौर के मतदान से पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद के अध्यक्षों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा था।
7. ब्रिटेन ने सहयो जारी रखने की बात दुहराई: ब्रिटेन का कहना है कि वह करीबी दोस्त भारत की जीत से खुश है। साथ ही ये भी कहा कि भंडारी की जीत ब्रिटेन की ओर से चुनाव से अपना प्रत्याशी वापस लिए जाने के कारण ही हुई है। जस्टिस दलवीर भंडारी की जीत पर उन्हें बधाई देते हुए ब्रिटेन ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक मंचों पर भारत के साथ अपना करीबी सहयोग जारी रखेगा। बधाई संदेश में कहा है कि इस क्षेत्र में हार और जीत होती ही है। लेकिन हमें इस बात की खुशी है कि हमारा करीबी मित्र देश में इसमें जीत हासिल की है।
8. ब्रिटेन की साख में कमी : एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाल ही में यूरोपियन यूनियन से अलग होने का फैसला लेने वाले ब्रिटेन के लिए यह परिणाम इस बात का संकेत है कि दुनिया के शक्ति संतुलन में वह अप्रांसगिक हो चुका है। इसकी वजह यह भी है कि अब यूरोपियन यूनियन के अन्य ताकतवर देश पहले की तरह उसके साथ नहीं हैं।
9. निर्णय में व्यापारिक संबधों का महत्वपूर्ण योगदान: एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने पर अन्य भारत यूनियन के अन्य देशों के साथ व्यापार के क्षेत्र में ब्रिटेन के बाद दूसरे स्थान पर है।
10.
ब्रिटेन कर सकता था स्थाई सदस्यता का गलत इस्तेमाल : कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये आशंका जताई गई थीं कि ब्रिटेन दलवीर भंडारी को रोकने के लिए कूटनीतिक दांवपेंच खेल सकता है। वे बहुमत न मिलने पर मतदान की प्रक्रिया को खत्म करने के लिए जॉइंट कांफ्रेंस मेकैनिज्म पर जोर देकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी स्थाई सदस्यता का गलत इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन अंतत: इस सबके बावजूद संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली के समर्थन से भारत इस महत्वपूर्ण पद पर जीत हासिल करने में कामयाब रहा।
Published on:
21 Nov 2017 06:20 pm
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