
देश के प्रधानमंत्री पर हुआ पहला एकमात्र विदेशी हमला, जानें श्रीलंका में राजीव गांधी पर हुए प्रहार की पूरी कहानी
नई दिल्ली। देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की आज 75वीं जयंती है। वर्ष 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती हमले में उनकी हत्या कर दी गई। एकदम अपने पीएम को खो देने से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई थी। लेकिन इससे पहले भी राजीव गांधी पर हमला हुआ था। ये हमला भी श्रीलंका से जुड़ा था। हमला श्रीलंका के एक सैनिक ने किया था।
सैनिक ने बंदूक की बट से किया प्रहार
29 जुलाई 1987 ये वो तारीख थी जो इतिहास के पन्ने में राजीव गांधी पर हुए हमले को लेकर दर्ज है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने श्रीलंका में तमिल समस्या और शांति को लेकर काफी काम किए। 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच शांति समझौता हुआ। पीस एकॉर्ड समझौता के लिए राजीव गांधी कोलंबो पहुंचे। वहां उन्हे गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था। इस दौरान आचानक एक सैनिक ने उनपर हमला कर दिया। नौ सैनिक विजिथा रोहन विजेमुनी ने पीएम राजीव गांधी पर पर बंदूक की बट से प्रहार किया। राजीव गांधी सही समय पर झुक गए। हालांकि राइफल उन्हें लगी जरूर, लेकिन ज्यादा जोर से नहीं। इसके बाद राजीव गांधी को फौरन उनके गार्ड्स ने घेर लिया। ये भारत के प्रधानमंत्री पर इकलौता विदेशी हमला था।
6 साल की हुई कैद
राजीव गांधी पर हमला करने वाले विजेमुनी को गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद उसका कोर्ट मार्शल हुआ। उसे छह साल की सजा सुनाई गई। जेल के छुटने के बाद विजेमुनी एक ज्योतिषी बन गया। 2015 में उसने पीएम मोदी को श्रीलंका के अंदरूनी मामले में दखल ना देने की चेतावनी भी दी थी वहीं रोहाना विजेमुनी का ने 26 जनवरी 2017 को श्रीलंका के राष्ट्रपति मेत्रीपाला श्रीसेना की मौत भविष्यवाणी की थी। उसके खिलाफ एक शिकायत भी दर्ज करवाई है। उसने यह भविष्यवाणी फेसबुक पर की है। उसने बताया कि ये बहुत बड़ा षड़यंत्र है।
क्यों किया हमला?
श्रीलंका में गृहयुद्ध चल रहा था। सिंहला आबादी समझौते का विरोध करता । बौद्ध धर्म मानने वाले सिंहला और हिंदू तमिलों के बीच घमासान चल रहा था। श्रीलंका की सेना और कई हथियारबंद तमिल संगठन आपस में लड़ रहे थे। दूसरी तरफ श्रीलंका के दक्षिण में जनाथा विमुक्ति पेरामुना ने सशस्त्र विद्रोह कर दिया था। भारत - श्रीलंका समझौते में स्थानीय सरकार तमिल हिंदुओं को और अधिक स्वायत्ता और अधिकार देने को राजी हुई। इसे बदले में तमिल संगठनों को अपने हथियारबंद विद्रोह को बंद करना था। विशेषज्ञों का मानना था कि श्रीलंका को टूटने से बचाने के लिए ये समझौता जरूरी था। भारत - श्रीलंका के बीच हुए समझौता की तस्वीरें टीवी पर दिल्ली में पांच सितारा अशोका होटल के कमरा नंबर 518 में बैठे लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम तमिल (लिट्टे) प्रमुख वेलुपिल्लेई प्रभाकरन ने देखी। जिसके बाद उसने समझौते का विरोध किया। इसके बाद उनसे राजीव गांधी की हत्या की साजिश रची। बता दें कि 1984 से समझौते की कोशिशें चल रही थी। राजीव गांधी ने शांति के लिए सेना भेजी। लेकिन सेना लड़ाई में फंस गई। संघर्ष में हजारों श्रीलंकाई सैनिक मारे गए थे। वहीं, शांति सैनिकों के रूप में श्रीलंका गए करीब 1500 भारतीय सैनिकों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। भारत के सेना भेजने और समझौते से खफा होकर ही नोसैनिक विजेमुनी ने राजीव गांधी पर हमला किया। उल्लेखनीय है कि सरकारी बलों ने 18 मई 2009 को लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण को मार गिराया गा। इसी के साथ 37 साल चला संघर्ष खत्म हो गया था, जिसमें कम से कम 1,00,000 लोगों की जाने गईं।
Published on:
20 Aug 2018 12:55 pm
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