
aseemanand
नई दिल्ली। हैदराबाद मक्का मस्जिद बम विस्फोट मामले में एनआईए की अदालत ने सोमवार को असीमानंद सहित पांचों आरोपियों को बरी कर दिया। 18 मई 2007 को मक्का मस्जिद में हुए बम ब्लास्ट में नौ लोगों की मौत गई थी और 58 लोग घायल हुए थे। इस मामले में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था। गौरतलब है कि ठीक इसी तरह अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में भी असीमानंद समेत सभी आरोपी बरी हो गए थे। साल 2007 में हुए विस्फोट मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया था। आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैंं असीमानंद और क्या है उनका इतिहास।
छात्र जीवन में ही आरएसएस से जुड़ गए थे
असीमानंद का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हुआ था। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी रह चुके थे। असीमानंद अपने छह भाई-बहनों में से एक थे। छात्र जीवन में ही असीमानंद राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़ गए थे। असीमानंद ने फिजिक्स में स्नातक किया था। इसके बाद वह साल 1977 में आरएसएस के प्रचारक बन गए थे। असीमानंद को ये नाम उनके गुरु स्वामी परमानंद ने दिया था। असीमानंद 1988 तक अपने गुरु के साथ बर्धवान में ही रहते थे।
इसके बाद असीमानंद अंडमान निकोबार में वनवासी कल्याण आश्रम की देखरेख करने लगे। यहां उन्होंने एक हनुमान मंदिर की भी स्थापना की थी। साल 1993 में अंडमान निकोबार से लौटकर असीमानंद गुजरात पहुंच गए जहां वो स्थानीय आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करने लगे। वहां पर रामायण के सबरी प्रसंग से प्रेरित होकर सबरी मंदिर बनाया।
2007 में हुआ था खुलासा
2007 में राजस्थान के अजमेर शरीफ में हुए ब्लास्ट केस में राजस्थान एटीएस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था। एटीएस ने देंवेंद्र गुप्ता नाम के शख्स से पूछताछ की तो उसने बताया कि इसे अंजाम देने के लिए असीमानंद और सुनील जोशी नाम के शख्स ने उस पर दबाव डाला था। इसके बाद 19 नवंबर 2010 में सीबीआई ने असीमानंद को हरिद्वार आश्रम से गिरफ्तार कर लिया था।
Updated on:
16 Apr 2018 03:40 pm
Published on:
16 Apr 2018 02:29 pm
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