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पीएम मोदी के जेहन में कौन है शल्य?

पीएम ने कहा कि कुछ लोग देश को हतोत्साहित करने में जुटे हैं। डोकलाम हो या अर्थव्यवस्था, लोग निराशा का ही भाव फैला रहे हैं।

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ICSI के स्वर्ण जयंती समारोह में महाभारत के एक पात्र शल्य का जिक्र बार-बार करते हुए सभी विरोधियों पर निशाना साधा। पीएम मोदी एक तरफ अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर अपनी सरकार का बचाव कर रहे थे वहीं दूसरी ओर नकारात्मक खबरें फैलाने वालों की तुलना शल्य से कर रहे थे। महाभारत में शल्य की जो कहानी है उसके मुताबिक कह सकते हैं कि पीएम मोदी शायद अपनी ही पार्टी के यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी पर निशाना साध रहे थे।

पीएम का निशाना किस पर
पीएम मोदी ने शल्य का जिक्र भी कुछ इसी तरह किया। पीएम ने कहा कि कुछ लोग देश को हतोत्साहित करने में जुटे हैं। डोकलाम हो या अर्थव्यवस्था, लोग निराशा का ही भाव फैला रहे हैं। दरअसल हाल के दिनों में पहले यशवंत सिन्हा और बाद में अरुण शौरी अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र पर निशाना साध चुके हैं।

कौन थे शल्य
दरअसल महाभारत के युद्ध में शल्य दुर्योधन की तरफ से लड़े थे। शल्य पांडवों की दूसरी मां माद्री के भाई थे। ऐसे में उन्हें पांडवों की तरफ से लड़ना था, लेकिन दुर्योधन ने छल से उन्हें अपनी तरफ कर लिया था। शल्य को कर्ण का सारथी बनाया गया था। महाभारत की कहानी के मुताबिक शल्य ने पूरे युद्ध के दौरान कौरव पक्ष और कर्ण को हतोत्साहित करने का ही काम किया।

अरुण शौरी
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने भी सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल उठाए हैं। शौरी लेखक, बुद्धिजीवी एवं राजनेता हैं। पहले वे विश्व बैंक में अर्थशास्त्री थे। सन 1990 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। अरुण शौरी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में दो अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। शौरी वाजपेयी सरकार में विनिवेश एवं दूरसंचार मंत्री रह चुके हैं। अभी पार्टी में हाशिए पर हैं।

यशवंत सिन्हा
फिलहाल पार्टी पर देश की अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं। वे भाजपा में आने से पहले एक आईएएस अधिकारी थे। सिन्हा भी अटल बिहारी बाजपेय़ी सरकार में वित्त और गृह मंत्रालय जैसे अहम अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनके पुत्र जयंत सिन्हा केंद्र सरकार में नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री हैं। फिलहाल ये पार्टी में कई अन्य नेताओं की तरह हासिए पर हैं।

सुब्रमण्यम स्वामी
वर्तमान समय में बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं। 1990-91 के दौरान केंद्र में वाणिज्य, विधि एवं न्याय मन्त्री और बाद में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। लेकिन नोटबंदी और सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए वित्त मंत्री को फेल बता चुके हैं। सरकार में उनके पास कोई अहम जिम्मेदारी नहीं है।

अपनी पार्टी के पुराने व अनुभवी नेताओं के आक्रामक रवैयै ने बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है। ऐसे में पीएम ने जब बुधवार को सरकार की तरफ से जवाब देना शुरू किया तो शल्य का जिक्र करना अपने आपमें कुछ सवाल छोड़ गया। इनमें सबसे अहम सवाल तो यह है कि क्या पीएम शल्य के रूप में सिन्हा और शौरी को देख रहे हैं।


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