इस बीच देश के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। देश में जल्द ही एक और स्वदेशी वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है। यदि ऐसा होता है तो टीकाकरण अभियान में तेजी आएगी और कम समय में अधिक से अधिक लोगों को टीका लग सकेगा।
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दरअसल, गुजरात के अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी जाइडस कैडिला (Zydus Cadila) ने अगले 7-8 दिनों में अपनी कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन कर सकती है। जायडस कैडिला ने केंद्र से कहा है कि वह अगले सात से आठ दिनों में अपनी वैक्सीन ZyCoV-D के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीई) के सामने आवेदन कर सकती है।
ट्रायल के लिए 28,000 वॉलिंटियर की भर्ती
कंपनी ने जानकारी देते हुए बताया है कि वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल पूरे कर लिए गए हैं। इसके लिए करीब 28,000 वॉलिंटियर की भर्ती की गई थी। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने बताया कि जायडस कैडिला ने अपने तीसरे चरण के अध्ययन के लिए 28,000 से अधिक वॉलिंटियर का नामांकन किया है।
उन्होंने कहा “हम उम्मीद कर रहे हैं कि वे निकट भविष्य में आवेदन करेंगे। उनका अधिकांश अध्ययन पूरा हो गया है। उन्होंने अपने चरण 3 के अध्ययन में 28,000 से अधिक वॉलिंटियर्स को नामांकित किया है। हमें उम्मीद है कि वे बहुत जल्द परिणाम प्रस्तुत करेंगे। हम इस टीके के लिए आशान्वित हैं क्योंकि यह दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन होगा। हमें उनके काम पर बहुत गर्व है।”
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जायडस कैडिला व्यस्कों के अलावा 12-17 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए भी अपनी वैक्सीन के ट्रायल कर रही है। ट्रायल के नतीजों के परिणामों के आधार पर इसके इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन कर सकती है।
भारत में तीन टीकों को मिली है मंजूरी
कोरोना संक्रमण के खिलाफ लडा़ई के लिए भारत ने अब तक तीन टीकों को मंजूरी दी है – कोवैक्सिन (भारत बायोटेक), कोविशील्ड (सीरम इंस्टीट्यूट), और रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी। कोविशील्ड को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किया गया है।
भारत बायोटेक के Covaxin के बाद ZyCoV-D दूसरा स्वदेशी टीका है, जो तीन खुराक वाला टीका है – जिसे 0 दिन, 28 दिन और 56वें दिन लगाया जाना है। कंपनी ने कहा है कि वह दो-खुराक वाले टीका पर भी काम कर रही है।
ZyCoV-D होगी दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन
बता दें कि जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को मंजूरी मिलने के बाद यह डीएनए आधारित दुनिया की पहली कोविड वैक्सीन होगी। यह वैक्सीन सीधे तौर पर व्यक्ति के डीएनए पर प्रभाव डालता है।
यानी कि डीएनए वैक्सीन शरीर में वायरस के उस हिस्से के जेनेटिक कोड को वहन करती है जो शरीर की इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है। मालूम हो कि जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के हिस्से के रूप में केंद्र के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के समर्थन से वैक्सीन विकसित किया जा रहा है।
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डेटा से पता चलता है कि ZyCoV-D को लंबे समय तक उपयोग के लिए 2 से 8 डिग्री सेल्सियस और अल्पावधि के लिए 25 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत किया जा सकता है।