एक मीडिया चैनल से बात करते हुए डॉ. अरोड़ा ने कहा कि कंपनी की वैक्सीन का डेटा सितंबर की शुरूआत तक हमें मिल जाएगा और उसके बाद हम इस दिशा में आगे बढ़ सकेंगे। उल्लेखनीय है कि जायडस कैडिला के अलावा और भी कई कंपनियां बच्चों की वैक्सीन पर काम कर रही हैं। इनमें देश में स्वदेशी तकनीक से निर्मित भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) भी प्रमुख हैं। 12-18 आयु वर्ग के लिए कोवैक्सीन के बारे में बोलते हुए एनटीएजीआई अध्यक्ष ने कहा कि स्वदेशी वैक्सीन फिलहाल टेस्टिंग फेज में है और जल्दी ही इसके नतीजे आने शुरू हो जाएंगे। टेस्टिंग का पूरा डेटा सितंबर के अंत तक हमें मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सब कुछ सही रहने पर वर्ष 2022 के जनवरी-फरवरी की शुरुआत में 12 से 18 वर्ष के आयुवर्ग वाली जनसंख्या को टीका लगाए जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि कोवैक्सिन चरण 3 का परीक्षण शुरू हो गया है और सितंबर के अंत तक पूरा डेटा आ जाएगा। परन्तु बहुत संभव है कि जॉयडस कैडिला का डेटा हमें अगले महीने तक मिल जाए और हम बच्चों के टीकाकरण की दिशा में आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि अभी स्कूलों को खोलने का मुद्दा बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर बहुत ज्यादा चर्चा की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि गत माह जून में केन्द्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जायडस कैडिला के टीकों का 12 से 18 वर्ष तक के आयु वर्ग के लिए टेस्टिंग का काम पूरा कर लिया गया है। केन्द्र ने कोर्ट में रखे अपने हलफनामे में कहा था कि जॉयडल कैडिला डीएनए आधारित टीका विकसित कर परीक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है। निकट भविष्य में यह बच्चों के लिए उपलब्ध हो सकता है। कोर्ट में ही सरकार ने यह भी कहा कि जाइडस कैडिला की पांच करोड़ वैक्सीन की खुराक दिसंबर के अंत तक खरीद ली जाएगी।