
दुनियाभर में कई लोगों के पास हाथ धोने की सुविधा नहीं।
वाशिंगटन। कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के दौरान हाथ धोना सबसे जरूरी काम है। मगर एक तथ्य के अनुसार अभी भी दुनियाभर में करोड़ों लोगों के लिए साफ पानी और साबुन से हाथ धोना दूर की कौड़ी है। यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ की साझा रिपोर्ट के अनुसार 2019 में दुनियाभर में 300 करोड़ लोगों के पास हाथ धोने के लिए संसाधन बिल्कुल न के बराबर है।
धोने के लिए पर्याप्त साफ पानी नहीं
यह संख्या दुनिया की जनसंख्या का 40 फीसदी से अधिक है। कोरोना वायरस के दौरान यह काफी बड़ी संख्या है। लोगों के पास हाथ धोने के लिए पर्याप्त साफ पानी और साबुन नहीं है। यूनिसेफ के भारतीय प्रतिनिधि डॉ यसमीन अली हक के अनुसार जैसे-जैसे महामारी फैल रही है, यह याद रखना बेहद जरूरी है कि हाथ धोना अब एक व्यक्तिगत पसंद नहीं बल्कि जरूरत है।
60 फीसदी परिवारों के पास साबुन
कोरोना वायरस इंफेक्शन से खुद को बचाने को लेकर इस प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है। यह सबसे सस्ती प्रक्रिया है। भारत में पानी से हाथ धोने की सुविधा बड़ी चिंता का विषय है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 60 फीसदी परिवारों के पास साबुन से हाथ धोने की सुविधा है।
56 फीसदी शहरी परिवार साबुन से अपने हाथ धोते हैं
ग्रामीण इलाकों में यह सुविधा न के बराबर है। दुनिया भर में पांच में से तीन के पास आधारभूत हाथ धोने की सुविधा है। राष्ट्रीय सैंपल सर्वे 2019 की रिपोर्ट के अनुसार खाना खाने से पहले 25.3 फीसदी ग्रामीण परिवार और 56 फीसदी शहरी परिवार साबुन से अपने हाथ धोते हैं।
वहीं खाना खाने से पहले 2.7 फीसदी लोग राख, मिट्टी या फिर रेत से हाथ धोते हैं। गौरतलब है कि 15 अक्तूबर को दुनियाभर में ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे मनाया गया था। इसका लक्ष्य लोगों को समझाना है कि हाथ धोना कितना आवश्यक है। इससे कई बीमारियों की रोकथाम हो सकती है।
Updated on:
17 Oct 2020 10:40 pm
Published on:
17 Oct 2020 10:31 pm
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