6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात को लेकर अमरीका और चीन के बीच पहली सैन्य स्तर की वार्ता

Afghanistan Crisis: सैन्य बैठक में चीन इस बात को लेकर चिंतित है कि चरमपंथी ताकतें, खासकर ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) की शक्ति में विस्तार होने की उम्मीद है।

2 min read
Google source verification
china and us flag

वाशिंगटन। अफगानिस्तान (Afghanistan Crisis) में बदलते हालात को लेकर शनिवार को चीन और अमरीका के बीच पहली बार सैन्य स्तर की वार्ता हुई। अमरीका में बाइडेन के सत्ता में के आने के बाद चीन से उसकी पहली सैन्य वार्ता रखी गई। इससे पहले पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफिस फॉर इंटरनेशनल मिलिट्री कोऑपरेशन के डिप्टी डायरेक्टर मेजर जनरल हुआंग ने बीते हफ्ते अपने अमरीकी समकक्ष माइकल चेस के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस आयोजित की थी।

सैन्य बैठक में चीन इस बात को लेकर चिंतित है कि चरमपंथी ताकतें, खासकर ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) अफगानिस्तान में अराजकता के बीच अपनी शक्ति और प्रभाव का विस्तार करेंगी। ऐसे में चीन, अमरीका और अन्य देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि इसे होने से रोका जा सके ।

ये भी पढ़ें: Kabul Attack: बिडेन की आतंकियों को चेतावनी- हम भूलेंगे नहीं, माफ भी नहीं करेंगे, खोज-खोजकर शिकार करेंगे और तुम्हें मारेंगे

बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद अमरीका और चीन ने मार्च में अलास्का में अपनी पहली उच्चस्तरीय वार्ता आयोजित की, जहां वांग और शीर्ष चीनी राजनयिक यांग जिची ने अमरीकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान से कई मुद्दों पर चर्चा की थी।

खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करने की उम्मीद

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीते सप्ताह हुई बैठक में चीन ने अफगानिस्तान के बारे में खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान करने की उम्मीद जताई थी। वांग और चीन की विदेश नीति के प्रमुख यांग ने मार्च में अलास्का में अमरीकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन से मुलाकात की थी। दरअसल बीजिंग को एहसास था कि अगर अमरीका ने अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को बाहर निकाला तो स्थिति विकट हो सकती है।

ये भी पढ़ें: सेना वापसी को लेकर बार-बार बयान बदल रहे जो बिडेन, क्या है उनकी मजबूरी और क्यों दे रहे नई तारीखें

अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने की पेशकश

सरकार गिरने और राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने के बाद से तालिबान नै 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा जमा लिया है। तब से तालिबान से बचने के लिए हजारों लोग देश छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। काबुल धमाकों पर हैरानी जताते हुए चीन ने शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति जटिल और गंभीर बन रही है। उसने तालिबान से सभी आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने की पेशकश की।