
S-400 मिसाइल डील: नरम पड़ा अमरीका, कहा- प्रतिबंधों का मकसद मित्र देशों को नुकसान पहुंचाना नहीं
नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच हुए S-400 डील के बाद आई पहली प्रतिक्रिया में अमरीका ने कहा है कि प्रतिबंधों का मकसद मित्र और सहयोगी देशों को कमजोर करना या उन्हें नुकसान पहुंचाना नहीं है। कयास लगाए जा रहे थे कि अमरीका इस समझौते के बाद कोई भारत के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठा सकता है। लेकिन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बहुचर्चित रक्षा डील पर हुई बातचीत के बाद अमरीक ने बेहद नरम और सजग प्रतिक्रिया दी है।
अमरीकी प्रतिक्रिया
अमरीकी दूतावास की प्रवक्ता जेन्नी ली ने बयान जारी कर कहा, "रूस पर प्रतिबंध को लागू करने का मकसद अपने सहयोगियों और मित्रों की सैन्य क्षमताओं को खतरे में डालना नहीं है। हम किसी भी तरह के प्रतिबंध के फैसले को पूर्वाग्रह नहीं बना सकते हैं।" अमरीका ने अपनी तरफ से यही भी साफ कर दिया कि कोई भी रियायत या छूट पर विचार आपसी लेन-देन और आपसी संबंधों के आधार पर विचार होगा। भारत पर इन प्रतिबंधों का क्या असर होगा, यह पूछे जाने पर अमरीकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, "अमेरिकी कानून CAATSA के सेक्शन 231 पर विचार हर एक ट्रांजैक्शन के आधार पर होगा। CAATSA को लागू करने का हमारा मकसद रूस के घातक व्यवहार के लिए उसे दंडित करना है।"
असल निशाना रूस
गौरतलब है कि अमरीका ने काउंटरिंग अमरीकाज एडवाइजरीज थ्रू सैंक्सन्स एक्ट (CAATSA) के जरिए रूस से किसी भी तरह के रक्षा समझौते पर रोक लगा रखी है। माना जा रहा था कि भारत द्वारा रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने से अमरीका नाराज होकर भारत पर भी बैन लगा सकता है। बता दें कि अमरीका की तरफ से प्रतिबंधों की बार बार धमकियां मिलने के बावजूद भारत ने शुक्रवार को रूस के साथ S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का समझौता किया। हालांकि जब शुक्रवार को भारत ने रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के समझौते पर साइन किए, तो अमरीकी तेवर बदल गए। S-400 समझौते के तहत भारत रूस से मिसाइल डिफेंस सिस्टम के 5 सेट खरीदेगा।
Published on:
06 Oct 2018 08:02 am
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