
America, Britain and Canada accuse Russia of stealing Corona Vaccine Research
लंदन। कोरोना महामारी ( Corona Epidemic ) से निजात पाने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक व डॉक्टर्स लगातार शोध कार्य में जुटे हैं और कोरोना वैक्सीन ( Coronavirus Vaccine ) बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। अभी तक आधिकारिक तौर पर कोरोना वैक्सीन बनने की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन उम्मीद है कि इस साल के अंत तक कोरोना वैक्सीन बन जाएगा। कई रिसर्च अब तक सफल हुए हैं और ट्रायल के अंतिम चरण में है।
इन सबके बीच अब कोरोना वैक्सीन को लेकर घमासान छिड़ गया है। रूस पर कोरोना वैक्सीन रिसर्च ( Corona Vaccine Research ) की चोरी का बड़ा आरोप लगा है। ये आरोप अमरीका, ब्रिटेन और कनाडा ( America, Britain, Canada ) ने लगाया है। तीनों देशों ने दावा है कि रूस मेडिकल संगठनों और यूनिवर्सिटीज पर साइबर हमले ( Cyber Attack ) कर रिसर्च चुराने की कोशिश कर रहा है।
इधर, बीते दिन अमरीका और ब्रिटेन ने ये दावा किया कि कोरोना वैक्सीन का परीक्षण ( Corona vaccine test ) सफल रहा है और बहुत जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी। दूसरी तरफ रूस ने भी दावा किया है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन शुरुआती ट्रायल में असरदार निकली है।
रिसर्च चुराने की कोशिश में साइबर हमले कर रहा है रूस
अमरीका, ब्रिटेन और कनाडा ने ये दावा किया है कि रूस इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ( Intellectual Property ) चुराने की कोशिश में साइबर हमले कर रहा है। इससे वह सबसे पहले या उनके साथ-साथ कोरोना वैक्सीन को विकसित कर सके। गुरुवार को तीनों देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि APT29 ( Cozy Bear ) नाम के हैकिंग ग्रुप इस कार्य को अंजाम दे रहा है। सिक्यॉरिटी चीफ का दावा है कि यह ग्रुप रूस की खुफिया एजेंसियों का हिस्सा है और क्रेमलिन के इशारे पर काम करता है।
Cozy Bear के जरिए रिसर्च चुराने का आरोप
फिलहाल इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि ये साइबर हमला कहां पर किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि फार्मासूटकिल और ऐकडेमिक संस्थानों ( Pharmaceutical and Academic Institutions ) को निशाना बनाया गया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कहा है कि सहयोगियों के साथ मिलकर इन हमलों के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।
ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्यॉरिटी सेंटर ( NCSC ) ने दावा किया है कि Cozy Bear रूस की खुफिया एजेंसियों का हिस्सा है। इन हमलों में सरकारी, कूटनीतिक, थिंक-टैंक, हेल्थकेयर और एनर्जी से जुड़े संस्थानों को निशाना बनाया जा रहा है ताकि इंटलेक्टुअल प्रॉपर्टी चुराई जा सके। NCSC के इस दावे का अमरीका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यॉरिटी, साइबर सिक्यॉरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर सिक्यॉरिटी एजेंसी, नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी और कनाडा के कम्यूनिकेशन सिक्यॉरिटी इस्टैबलिशमेंट ने भी समर्थन किया है।
अमरीका, ब्रिटेन और रूस का कोरोना वैक्सीन सफल
आपको बता दें कि अभी तक कई देशों ने कोरोना वैक्सीन के ट्रायल का सफल परीक्षण का दावा किया है। इसमें अमरीका, ब्रिटेन और रूस भी शामिल है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से ये कहा गया है कि ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और Astrazeneca की वैक्सीन सबसे आगे है।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और Astrazeneca की वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 ( अब AZD1222 ) के ब्राजील में इंसानों पर किए गए सबसे पहले ट्रायल में एंटीबॉडी और वाइट ब्लड सेल्स ( Killer T-cells ) विकसित होते पाए गए।
दूसरी तरफ अमरीका की Moderna Inc की वैक्सीन mrna1273 के ट्रायल में भी एंटीबॉडी पाई गईं। रूस ने भी अपनी एक्सपेरिमेंटल कोरोना वायरस वैक्सीन के सफल परीक्षण का दावा कर इसकी 20 करोड़ डोज बनाने की बात कही है।
Updated on:
16 Jul 2020 09:11 pm
Published on:
16 Jul 2020 08:49 pm
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