
वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे (फाइल फोटो)
लंदन। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के संबंध में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं और देश-दुनिया में इसे लेकर चर्चाएं भी हो रही है। हालांकि यदि एक-दो देशों को छोड़ दें तो दुनिया भर के तमाम देशों ने इस फैसले को भारत का आंतरिक मामला बताया, लेकिन इसके बावजूद भी अपने ही देश में कई लोग अभी भी इसे लेकर तमाम तरह की बातें कर रहे हैं।
इन सबके बीच अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में कुलभूषण जाधव का केस लड़ने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे ने लंदन में एक बड़ा बयान दिया है। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने जम्मू एवं कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा हटाने के निर्णय का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 एक गलती थी और जम्मू एवं कश्मीर को दिए विशेष दर्जे को समाप्त कर इसमें सुधार किया गया। पत्रकारों से बात करते हुए हरिश साल्वे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत सरकार के निर्णय के विरोध में पाकिस्तान का अभियान उसके पूरी तरह से दिवालिया होने की निशानी थी और जोर देते हुए यह भी कहा कि कश्मीर, भारत और इसके संविधान का आंतरिक मामला है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का काफी प्रयास किया और विश्व नेताओं को परमाणु युद्ध से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर भी चेताया।
साल्वे ने भारत सरकार द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को लेकर लिए गए निर्णय का समर्थन किया और इसे देश का आंतरिक मामला बताया।
PoK भारत का हिस्सा है: हरिश साल्वे
वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए यह भी कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) भारतीय क्षेत्र है और पाकिस्तानी वहां अवैध रूप से बस गए हैं। इसलिए पीओके विवादित क्षेत्र है, कश्मीर नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि ना केवल भारतीय संविधान बल्कि कश्मीर का संविधान भी इसे भारत का आंतरिक क्षेत्र बताता है। इसलिए कश्मीर की स्थिति को लेकर पाकिस्तानियों को छोड़ किसी को भी संदेह नहीं रहा।
साल्वे ने रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस के ऐतिहासिक फैसले के बाद लंदन में भारतीय उच्चायोग में पत्रकारों से कहा, 'मुझे लगता है कि इसकी अनुमति देना एक गलती थी और इससे भी बड़ी गलती इस घाव को पकने की इजाजत देना था। कभी-कभी आपको समस्याओं को उखाड़ फेंकना होता है और सरकार ने वही किया। इसे करने का एक ही तरीका इसे 'एक शॉट' में खत्म करने का था।’
रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस ने 1947 में बंटवारे के बाद हैदराबाद के निजाम से जुड़ी संपत्ति के मामले में भारत सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है।
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Updated on:
03 Oct 2019 11:09 pm
Published on:
03 Oct 2019 03:59 pm
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