चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ( Chinese Foreign Ministry Spokesperson Zhao Lijian ) ने जानकारी देते हुए बताया है कि चीनी सरकार की सहमति के बाद WHO बीजिंग में विशेषज्ञों की एक टीम भेजेगा, जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच करेगी। WHO की एक टीम संभवतः अगले सप्ताह चीन जाकर कोरोना की उत्पत्ति और उसके फैलने की जांच करेगी।
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बता दें कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के फैलने को लेकर चीन पर आरोप लगे हैं, क्योंकि कोरोना का पहला मरीज चीन के वुहान शहर में मिला था और देखत ही देखते पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। ऐसे में ये आरोप लगाया गया कि चीन ने दुनिया को अंधेरे में रखा और जानकारी देने में देरी की।
6 महीने से अधिक चलेगी जांच
आपको बता दें कि कोरोनो की उत्पत्ति कहां और कैसे हुई इसकी जांच WHO की एक टीम करेगी। चीन स्थित WHO कार्यालय की ओर से ‘वायरल निमोनिया’ के मामलों पर वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग का बयान लिया जाएगा। इसके बाद आगे की जांच की जाएगी जो कि 6 महीने से अधिक समय तक चलेगी।
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि वायरस की उत्पत्ति में ‘गहन जांच’ की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि चीनी सरकार ने पहली बार 31 दिसंबर को वुहान से निमोनिया के मामलों के प्रकोप की सूचना दी थी।
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डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि अभी तक के जो अनुक्रम हैं उससे ये पता चलता है कि कोविड-19 पैदा करने वाला वायरस बहुत हद तक बैट वायरस के समान है। फिलहाल इसके आगे हमें कोई जानकारी नहीं है कि यह कहां से आया और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई।
अमरीका चीन पर लगाता रहा है आरोप
आपको बता दें कि अमरीका समेत दुनिया के कई देशों ने सीधे-सीधे ये आरोप लगाया कि चीन की लापरवाही से ही पूरी दुनिया कोरोना संकट का सामना कर रही है। बीते दिनों समाचार एजेंसी एपी ने अपनी एक रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण को लेकर चीन की भूमिका पर सनसनीखेज खुलासे किए थे।
रिपोर्ट में दस्तावेजों के हवाले दावा किया गया था कि चीन ने कोरोना के बारे में जानकारी देने में काफी देरी की। चीनी अधिकारियों ने कोरोना के जीनोम के बारे में तब बताया जब जब एक हफ्ते पहले ही दुनिया के कई देश अपनी-अपनी प्रयोगशालाओं में इस जानलेवा वायरस की आनुवंशिकी का खुलासा कर चुके थे।
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अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार इस तरह के आरोप लगा चुके हैं, यहां तक उन्होंने इसे चीनी वायरस तक नाम दे दिया था। बता दें कि कोरोना से सबसे अधिक अमरीका प्रभावित हुआ है। अमरीका में अब तक सवा लाख लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 लाख लोग संक्रमित हुए हैं। वहीं पूरी दुनिया में मरने वालों की संख्या साढ़े पांच लाख के करीब पहुंचा गया है, जबकि संक्रमितों की संख्या सवा करोड़ तक पहुंच चुका है।