
Coronavirus: Evidence of SARS-CoV-2 found in Pet Dogs and Cats
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus epidemic ) से पूरी दुनिया जूझ रही है और इस वायरस से अब तक 6 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं सवा करोड़ से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। कोरोना संक्रमण ( Corona Infection ) को फैलने से रोकने के लिए वैक्सीन ( Corona vaccine ) बनाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है।
इन सबके बीच अब एक बड़ी और चिंताजनक खबर सामने आई है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि घरेलू जानवरों में कोरोना वायरस को बढ़ाने वाले तत्व पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने कहा है कि SARS CoV-2 को वायरस के प्रति एंटीबॉडी को बेअसर करते हुए पाया गया है, जो COVID -19 का कारण बनता है।
वैज्ञानिकों ने इटली में ऐसे कुछ नमूनों को इकट्ठा किया है, जिसमें घरेलू कुत्तों व बिल्लियों पर ये जांच किया गया। ये रिपोर्ट सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने पालतू जानवारों ( Pets Animals ) में इस बीमारी के बढ़ने की आशंका जाहिक की है। ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल ( University of Liverpool in Britain ) के शोधकर्ताओं ने उत्तरी इटली में यात्राओं के दौरान एकत्र किए गए 500 से अधिक पालतू जानवरों के नमूनों का परीक्षण किया।
जानवरों से इंसानों में वायरस फैलने के सबूत नहीं
शोधकर्ताओं ने कहा कि कोई भी जानवर पीसीआर पॉजिटिव नहीं मिला है। इस परीक्षण के लिए 3.4 प्रतिशत कुत्तों और 3.9 प्रतिशत बिल्लियों में औसत दर्जे का SARS CoV 2 को निष्क्रिय कर दिया था। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि COVID-19 पॉजिटिव घरों के कुत्तों को COVID -19 नकारात्मक घरों की तुलना में सकारात्मक परीक्षण करने की अधिक संभावना थी।
लिवरपूल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एलन रेडफोर्ड ने कहा कि जब परीक्षण किए गए जानवरों में से सैंपलिंग के समय वायरस का कोई तत्व नहीं मिला, तो ऐसे में COVID-19 से संक्रमित लोगों के घरों में रहने वाले पालतू जानवरों पर लगभग निश्चित रूप से ये वायरस होगा और उससे कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना ज्यादा है। हालांकि अभी तक इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं कि जानवरों से इंसानों में कोरोना फैलता है।
रेडफोर्ड ने कहा कि जिन लोगों को संक्रमण होता है, उनमें से अधिकांश लोगों को Covid-19 से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से होता है। यही कारण है कि सोशल डिस्टेंसिंग ( Social Distancing ) और स्वच्छता पर स्थानीय दिशानिर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
लीवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन ( Liverpool School of Tropical Medicine ) के इयान पैटरसन ने कहा कि हमने जिस परख का इस्तेमाल किया है, उसे एंटीबॉडी एसेज़ का स्वर्ण मानक माना जाता है, जो प्रयोगशाला में उत्पादित SARS-CoV-2 के अलगाव को बेअसर करने की क्षमता को मापता है। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य में जानवरों को देखते हुए ऐसे अध्ययन जारी रखने की जरूरत है।
Updated on:
28 Jul 2020 06:26 pm
Published on:
28 Jul 2020 05:43 pm
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