
नई दिल्ली। श्रीलंका में ईस्टर संडे को हुए एक के बाद एक 8 बम बिस्फोटों में 300 से अधिक लोगों के मारे जाने के बाद दुनिया भर में एक बार फिर आतंकवाद को लेकर एक बहस छिड़ गई है। इन हमलों के पीछे इस्लामिक स्टेट का नाम आने से इस बात को लेकर बहस तेज हो गई है कि क्या वाकई इस्लामिक स्टेट यानी ISIS को हराना मुमकिन है या यह खूंखार आतंकी संगठन दुनिया भर में आतंक का पर्याय बना रहेगा। एक तरफ जहां आईएसआईएस सीरिया और मध्यपूर्व के देशों में बुरी तरह हार रहा है वहीं दूसरी ओर इसके अब दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में पैर पसारने के संकेत मिल रहे हैं। असल में यह मामला देखने में जितना सीधा लगता है, उतना वास्तव में नहीं है। आइए, एक नजर डालते हैं कि आखिर क्या वजह है कि एक तरफ जहां आईएसआईएस को सीरिया से दुम दबाकर भागना पड़ा, वहीं दूसरी तरफ उसे दक्षिण एशिया के देशों में नई जमीन मिलती जा रही है।
सीरिया में ढह गया गढ़
बीते दिनों सीरिया में बड़ी संख्या में आईएस आतंकियों ने सरेंडर कर दिया था। सीरिया के बाघोज में आईएस का आखिरी किला भी मार्च के आख़िरी हफ्ते में अमरीका समर्थित सेना के कब्जे में चला गया। आईएस के लड़ाकों को सीरिया सहित ईराक में भी करारी हार का सामना करना पड़ा। लेकिन यह अभी भी अमरीकी गठबंधन सेना ने सीरिया में लगातार छापामार हमले किए, इसके बाद आईएस का उसके इलाकों से नियंत्रण तेजी से खत्म होने लगा। इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के कब्जे वाले आखिरी इलाके बघौज से सैकड़ों लोग बाहर निकाले जाने के बाद ट्रक पर बैठ कर बाहर निकले। इसके बाद यह मान लिया गया कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के पैर उखड़ गए हैं। लेकिन क्या यह सब मान लेना इतना आसान है ? सीरिया समेत पश्चिमी एशिया से आईएस के खात्मे के बाद भी इन आतंकियों का वजूद शून्य नहीं हुआ। असल में अपनी हार को निकट देख आईएस ने अपना समूचा बेस कहीं और शिफ्ट कर लिया। उसे अपने लिए सुरक्षित जमीन मिली पूरब में।
दक्षिण एशिया बना आईएस आतंकियों की पनाहगाह
श्रीलंका में रविवार को हुए सीरियल बम धमाकों की जिम्मेदारी अब आतंकी संगठन इस्लामिक इस्टेट ( आईएस ) ने ले ली है। हालांकि धमाके के तौर तरीके के चलते इसके संबंध में पहले से कयास लगाए जाने लगे थे कि कहें न कहें ये आईएस का ही काम है, लेकिन अब आईएस के खुलकर जिम्मेदारी लेने से आतंक की एक नई इबारत से पर्दा उठता हुआ नजर आ रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले श्रीलंकाई सरकार और जांच एजेंसियों ने दावा किया था इसमें मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों का हाथ है। मंगलवार को श्रीलंका के उप रक्षामंत्री ने दावा किया था कि इस हमले के पीछे न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों में हुए हमले का बदला है।
भारत के इर्द गिर्द मंडराता बड़ा खतरा
अपनों बता दें कि फिलीपींस और वियतनाम समेत एशिया के कई देशों में आईएसआईएस का बेस काफी मजबूत है। अगर हम केवल दक्षिण एशिया की बात करें तो इन देशों में अभी भी आईएस अपनी जमीन को मजबूत करने में लगा हुआ है। हालांकि बांग्लादेश और मालदीव जैसे देशों में वह अपनी जड़ें जमा चुका है। इन देशों से वह दक्षिण एशिया के बाकी देशों में किसी भी तरह का हमला कर सकता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या आईएस दक्षिण एशिया के देशों में इतना मजबूत हो चुका है कि वह इस तरह के हमलों को अंजाम दे सकता है। इसका जवाब है, हां। जिस तरह श्रीलंका में आईएस ने अपने हमलों को अंजाम दिया है उसको देखते हुए ऐसा लगता है कि आईएस वाकई अपनी जमीन इतनी मजबूत कर चुका है कि वह इन देशों में मानवता के विरुद्ध एक बड़े खतरे के रूप में उभर सकता है।
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Updated on:
24 Apr 2019 01:31 pm
Published on:
24 Apr 2019 07:57 am
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