
इजराइल: बेंजामिन नेतन्याहू सरकार बनाने में नाकाम, 17 सितंबर को फिर से होंगे चुनाव
तेल अवीव।इजराइल ( Isreal ) में सियासी संकट के बीच बेंजामिन नेतन्याहू ( Benjamin Netanyahu ) गठबंधन की सरकार को नहीं बचा सके। बुधवार को इजराइली सांसदों ने संसद भंग करने के पक्ष में मतदान किया, जिसके बाद से यह तय हो गया कि इजराइल में एक बार फिर से चुनाव होंगे। संसद में मतदान के बाद यह तय किया गया कि 17 सितंबर को फिर से मतदान होगा। बता दें कि इसी साल अप्रैल में ही इजराइल में चुनाव हुए थे, जिसमें किसी को भी बहुमत नहीं मिला था। हालांकि बेंजामिन नेतन्याहू ने संख्या बल होने का दावा करते हुए गठबंधन की सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इजराइल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी नामित प्रधानमंत्री संसद में अपना बहुमत हासिल न कर सका हो।
नेतन्याहू क्यों बरकरार नहीं रख पाए सरकार?
दरअसल, नेतन्याहू अप्रैल में हुए चुनाव के बाद अपने सहयोगी दलों से दक्षिणपंथी गठंबधन बनाने के लिए समझौता करने में नाकाम रहे थे। इसके पीछे एक विधेयक को वजह माना जा रहा है। इस विधेयक में अति धर्मनिष्ठ यहूदी शिक्षण संस्थानों के छात्रों को अनिवार्य सैनिक सेवा से मिलने वाली छूट की समीक्षा की जाने की मांग की गई थी। इसको लेकर गठबंधन के साथियों में सहमति नहीं बन पाई। बुधवार की आधी रात को गठबंधन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और फिर संसद को भंग करने के प्रस्ताव के पक्ष में 74 वोट, जबकि विरोध में 45 वोट पड़े। मालूम हो कि अप्रैल में हुए चुनाव में 120 में से 35 सीटों पर नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने जीत दर्ज की थी। ऐसा समझा जा रहा था कि नेतन्याहू पांचवीं बार प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, लेकिन वे गठबंधन के साथी पूर्व रक्षा मंत्री एविग्दोर लिबरमन के साथ समझौता करने में असफल रहे। संसद भंग होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए नेतन्याहू ने कहा 'मैं एक स्पष्ट चुनाव अभियान चलाऊंगा जो हमें जीत दिलाएगी। हम जीतेंगे.. हम जीतेंगे और साथ ही जनता की भी जीत होगी।'
इस वजह से गठबंधन में बढ़ी तकरार
बता दें कि बेंजामिन नेतन्याहू एक बिल के कारण गठंबधन करने में सफल नहीं हो सके। एक विधेयक में अति धर्मनिष्ठ यहूदी शिक्षण संस्थानों के छात्रों को अनिवार्य सैनिक सेवा से मिलने वाली छूट की समीक्षा की जाने की मांग की गई थी। राष्ट्रवादी दल इजराइल बेतेनयू पार्टी से संबंध रखने वाले लिबरमन ने अति धर्मनिष्ठ यहूदी दलों के साथ आने के लिए यह शर्त रखी थी कि उन्हें अनिवार्य सैन्य सेवा में छूट देने के अपने मसौदे में परिवर्तन करने होंगे। जबकि अति-धर्मनिष्ठ यहूदी दल नहीं चाहते थे कि पुरातनपंथी कट्टर यहूदियों को अनिवार्य सैन्य सेवा से मिली छूट में बदलाव हो। अब गठबंधन बनने और राष्ट्रपति की ओर से विपक्षी दलों को सरकार बनाने का न्योता मिलता देख नेतन्याहू ने चुनाव कराने का दांव खेल दिया और संसद भंग करने का प्रस्ताव पर सदन में रख दिया।
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Updated on:
30 May 2019 04:03 pm
Published on:
30 May 2019 06:08 am
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