
नई दिल्ली।
बच्चों के लिए पॉवडर, शैंपू आदि बनाने वाली कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने भी कोरोना का टीका बनाया है। जी हां, और इसके कोरोना टीके की मंजूरी को लेकर ज्यादातर देशों में उत्साह देखने को मिल रहा है। इसकी एक बड़ी वजह भी है, वह यह कि जॉनसन एंड जॉनसन के कोरोना टीके की सिर्फ एक ही डोज पर्याप्त होगी, जबकि अब तक बनी तमाम कंपनियों के कोरोना टीके की दो डोज लेना जरूरी है, तभी आप संक्रमण से काफी हद तक बच सकते हैं।
यह तो थी जॉनसन एंड जॉनसन के कोरोना टीके को लेकर लोगों में उत्साह और इसकी खसियत को लेकर बात। अब इसका एक दूसरा पहलू भी है, जो ठीक विपरित है। इस कंपनी के टीके को लेकर कैथोलिक मान्यता वाले लोग चिंता में हैं। साथ ही, माना यह भी जा रहा है कि इस टीके का गर्भपात से सीधा संबंध है।
कैथोलिक समुदाया में थोड़ी परेशानी और थोड़ी चिंता
दरअसल, हाल ही में अमरीका में कैथोलिक बिशप की एक कांफ्रेंस हुई। इसमें जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की ओर से लाए गए कोरोना के टीके पर चर्चा हुई और चिंता भी प्रकट की गई। बिशप के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए अगर दूसरे ब्रांड के टीके उपलब्ध नहीं होते, तो जॉनसन एंड जॉनसन के टीके को लेना मजबूरी होती। मगर जब दूसरे ब्रांड के टीके पहले से मौजूद हैं और इलाज में उनका सफलता प्रतिशत अच्छा है, तो गर्भपात से जुड़े जॉनसन एंड जॉनसन के टीके को महत्व क्यों दिया जाए। वह भी सिर्फ इसलिए कि इसका केवल एक डोज ही लेना काफी होगा। कांफ्रेंस में बिशप ने साफ तौर पर इस टीके के इस्तेमाल से इनकार कर दिया। इसके बाद से ही धार्मिक मान्यता की वजह से कैथोलिक समुदाय में इस टीके को लेकर थोड़ी परेशानी और थोड़ी चिंता दिखाई दे रही है।
चिकनपॉक्स के टीके को लेकर हुए परीक्षण
बहरहाल, जॉनसन एंड जॉनसन के टीके में गर्भपात वाली आशंका को लेकर हम थोड़ा पीछे चलते हैं। बात 19वीं सदी की शुरुआत की है। तब चिकनपॉक्स जानलेवा बीमारी हुआ करती थी। उस समय ये सामने आया कि अगर हल्के लक्षण वाले काउपॉक्स के वायरस का टीका दिया जाए तो स्मॉलपॉक्स का खतरा कम हो सकता है। तब यह प्रयोग करीब-करीब सभी पशुओं पर किया गया। कुछ केस में यह सीधे इंसानों पर भी हुआ। इसके बाद 20वीं सदी में वैज्ञानिकों को जांच के लिए एक दूसरा आसान उपाय सूझा। वैज्ञानिकों ने इंसान की कोशिकाओं को लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण किया और देखा कि यह टीका कितना असरकारी हो सकता है।
रूबेला का टीका भ्रूण पर प्रयोग करके ही तैयार हुआ
अमूमन इंसानी शरीर से कोशिकाएं लेकर उन्हें लैब में बढ़ाने की कोशिश करें तो वे थोड़े समय बाद बढऩा बंद कर देती हैं और मृत होने लगती हैं। वहीं, इसके विपरित भ्रूण के शरीर से कोशिकाएं ली जाएं, तो वे बढ़ती जाती हैं। इसके बाद यही प्रचलन में आ गया। मृत भ्रूण से ही कोशिकाएं लेकर प्रयोगशाला में कल्चर की जाने लगी। रूबेला का टीका भ्रूण पर प्रयोग करके ही तैयार हुआ। इसी तरह कोरोना के टीके के लिए मंजूरी हासिल कर चुकी रेमडेसिविर दवा भी वर्ष 1970 में गर्भपात के लैब पहुंचे भ्रूण की किडनी टिश्यू से तैयार की गई।
.... तो विरोध की असल वजह ये है
रेमडेसिविर की दवा से भी स्पष्ट है कि टीका बनाने और उसकी जांच के दौरान भ्रूण की कोशिकाओं का इस्तेमाल होता रहा है। ऐसे में जॉनसन एंड जॉनसन को लेकर कैथोलिक देश चिंतित क्यों है, यह बड़ा सवाल है। असल में द फिलाडेल्फिया इंक्वायरर की मानें तो इस बारे में द एंटीअबॉर्शन लोजियर इंस्टीट्यूट ने काफी रिसर्च किया है। इसमें सामने आया कि जहां फाइजर और माडर्ना ने केवल कोरोना के टीके के परीक्षण के दौरान भू्रण का इस्तेमाल किया, वहीं जॉनसन एंड जॉनसन ने रिसर्च, उत्पादन और जांच यानी पूरी प्रक्रिया में भू्रण की कोशिकाओं का इस्तेमाल किया है।
आपको बता दें कि कैथोलिक समुदाय गर्भपात को गलत मानता है और इसीलिए जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वाली वैक्सीन होने के बावजूद इसका विरोध किया जा रहा है। उनका मानना है कि इस ब्रांड के कोरोना के टीके के इस्तेमाल से न सिर्फ वे नैतिक रूप से दूषित होंगे बल्कि, इससे गर्भपात को भी बढ़ावा मिलेगा।
Published on:
09 Mar 2021 08:27 am
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