
द हेग। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से जुड़े मामले में बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत ( ICJ ) ने अपना फैसला सुनाया। ICJ ने पाकिस्तान को एक बड़ा झटका दिया है।
16 जजों की बेंच ने 15-1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव को काउंसल एक्सेस देने को कहा है। द हेग के ‘पीस पैलेस’ में प्रमुख न्यायाधीश अब्दुल कावी अहमद यूसुफ फैसला पढ़ा।
LIVE UPDATES
- पूर्व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने कहा- भारत की बड़ी जीत
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ICJ के फैसला का स्वागत किया
- काउंसलर एक्सेस मिलना जाधव का अधिकार है
- कुलभूषण जाधव पर नए सिरे से ट्राइल हो
- ICJ ने कहा- पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया
- ICJ ने जाधव की फांसी पर तत्काल रोक लगा दी है
- कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस मिलना चाहिए
- रीमा ओमेर ने बताया कि फैसला भारत के पक्ष में है
- कोर्ट ने पाकिस्तान से फैसले पर पुनर्विचार के लिए कहा
- रीमा ओमेर ने ट्वीट कर दी जानकारी
- ICJ की कानूनी सलाहकार हैं रीमा ओमेर
- नीदरलैंड में भारत के राजदूत वीनू राजामोनी पहुंचे कोर्ट
- विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान) दीपक मित्तल भी कोर्ट पहुंचे
- भारतीय अधिकारी सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंच गए हैं
- पाकिस्तान की कानूनी टीम भी कोर्ट में पहुंच चुके हैं
- शाम साढ़े छह बजे फैसला सुनाया जाएगा
- करीब एक घंटे तक पढ़ा जाएगा फैसला
भारत के लिए चुनौती
बुधवार का दिन भारत के लिए इम्तिहान की घड़ी है। इससे पहले फरवरी 2019 को सुनवाई के दौरान पाकिस्तान की ओर से ICJ में तमाम तरह की दलील दी गई थी। हालांकि भारत की ओर से पाकिस्तान के हर आरोपों का जवाब दिया गया था।
पाकिस्तान ने कहा था कि जाधव भारतीय जासूस है जो एजेंसी 'रिसर्च एंड एनालिसिस विंग' यानी ( RAW ) से जुड़ा है। जाधव को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान से जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था।
भारत के लिए चुनौती है कि कैसे पाकिस्तान के कब्जे से जाधव को वापस लाया जाए। क्योंकि इससे पहले ICJ ने सुनवाई करते हुए पाकिस्तान को यह आदेश दिया था कि जाधव को काउंसलर एक्सेस दी जाए। हालांकि पाकिस्तान ने नहीं माना।
पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने तर्क दिया था कि जाधव देश को अस्थिर करने के लिए बलूचिस्तान भेजे गए भारतीय जासूस थे और इसलिए काउंसलर एक्सेस के हकदार नहीं है। उन्होंने कहा था कि जाधव को राहत का भारत का दावा खारिज किया जाना चाहिए।
हालांकि इसके बाद पाकिस्तान ने खानापूर्ति करते हुए जाधव की मां और बहन को पाकिस्तान आने की इजाजत दी। लेकिन एक ड्रामा की तरह जाधव से उन्हें मिलाया। इसको लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी।
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि कुलभूषण जाधव का मामला मार्च, 2016 का है। दरअसल पाकिस्तान की ओर से यह कहा गया है कि पाक आर्मी ने कुलभूषण जाधव को अफगानिस्तान में जासूसी करने के आरोप में बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया है। इसके बाद पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट ने 10 अप्रैल 2017 को कुलभूषण जाधव को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई।
भारत ने इसको लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया और फिर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में अपील की। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कुलभूषण की सजा पर रोक लगा दी थी। भारत ने अपना पक्ष रखते हुए इससे पहले कहा है कि कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी आर्मी ने उन्हें अफगानिस्तान के बॉर्डर से अपहरण किया है।
भारत ने यह भी तथ्य रखे हैं कि कुलभूषण जाधव को ईरान से पकड़ा गया है और बलूचिस्तान से फर्जी गिरफ्तारी दिखाई है। इस बात का खुलासा पाकिस्तान में जर्मनी के पूर्व राजदूत गुंटक मुलक ने किया था। इसके अलावा भारत ने यह भी दलील दी कि पाकिस्तान ने वियना संधि का भी उल्लंघन किया है।
पाकिस्तान से 16 बार काउंसलर एक्सेस मांगा गया, लेकिन पाकिस्तान लगातार काउंसलर एक्सेस देने से मना करता रहा है। जिसके बाद से 18 मई 2017 को सुनवाई करते हुए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पाकिस्तान को निर्देश दिया है कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक जाधव को फांसी न दी जाए।
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Updated on:
17 Jul 2019 07:03 pm
Published on:
17 Jul 2019 07:17 am
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