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मॉडर्ना ने तीसरी लहर से बच्चों के बचाव के लिए टीके का किया ट्रायल, बेहतर परिणाम सामने आए

जर्नल साइंस इम्यूनोलॉजी में मंगलवार को प्रकाशित शोध में दावा किया गया कि रीसस मैकाक प्रजाति के 16 नन्हें बंदरों में टीके से वायरस से लड़ने की क्षमता 22 हफ्तों तक बनी रहती है।

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moderna vaccine

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नई दिल्ली। मॉडर्ना लगातार छोटे बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन को लेकर परीक्षण कर रहा है। उसने प्रोटीन आधारित एक अन्य प्रायोगिक टीके को बंदर की प्रजाती रीसस मैकाक के बच्चों पर परीक्षण किया। ये सार्स-कोव2 वायरस से लड़ने में कारगर एंटीबॉडी बनाने वाले साबित हुए हैं। जर्नल साइंस इम्यूनोलॉजी में मंगलवार को प्रकाशित शोध में संकेत मिले कि बच्चों के लिए टीका महामारी से निपटने में बेहतर साबित होगा।

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संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी

अमरीका की न्यूयॉर्क-प्रेस्बाइटेरियन कॉमनस्काई चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की सेली पर्मर के अनुसार कम उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके से कोरोना वायरस के प्रसार को सीमित करने में मदद मिल सकेगी। पर्मर का कहना है कि संक्रमण को लेकर बच्चों पर लगाई गई पाबंदियों से उन पर नकारात्मक असर देखने को मिला। ऐसे में बच्चे कोविड-19 के टीके से सुरक्षित बाहर निकल सकेंगे। शोधपत्र के अनुसार रीसस मैकाक प्रजाति के 16 नन्हें बंदरों में टीके से वायरस से लड़ने की क्षमता 22 हफ्तों तक बनी रहती है। शोधकर्ता इस साल टीके से लंबे समय बचाव को लेकर अध्ययन कर रहे हैं।

30 माइक्रोग्राम टीके की खुराक

अमरीका में नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस्टीना डी पेरिस का कहना है कि वे संभावित एंटीबॉडी का स्तर वयस्क मैकाक से तुलना करने के बाद निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं। हालांकि, मैकाक के बच्चों को मात्र 30 माइक्रोग्राम टीके की खुराक ही दी गई। वहीं वयस्कों के लिए यह मात्रा 100 माइक्रोग्राम रखी गई थी। शोधकर्ताओं के अनुसार दो टीके लगने के बाद नन्हें बंदरों के शरीर में एंटीबॉडी का विकास हुआ।

डी पेरिस का कहना है कि मॉडर्ना के टीके में हमने मजबूत टी कोशिका की प्रतिक्रियाएं देखने को मिली। इसके बारे में हम जानते हैं कि यह बीमारी की गंभीरता को सीमित करने में सक्षम है। दो माह की उम्र के मैकाक के 16 बच्चों को आठ-आठ के दो समूहों में बांटा गया। इसके साथ उनका टीकाकरण किया गया।

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प्रोटीन आधारित टीका

टीका शरीर को वायरस की सतह पर प्रोटीन उत्पन्न करने का निर्देश देता है। इसे स्पाइक प्रोटीन कहते हैं। इससे मानव प्रतिरक्षण कोशिकाएं इन प्रोटीन की पहचान करती हैं और एंटीबॉडी पैदा करने के साथ बचाव लिए अन्य उपाय करती हैं।