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नासा का बड़ा खुलासा: मंगल पर मीथेन के बाद ऑक्सीजन गैस की मौजूदगी का चला पता

क्यूरियोसिटी रोवर की मदद से मिली जानकारी के हवाले से दावा अब तक क्यूरियोसिटी रोवर ने पृथ्वी के साथ कई डेटा शेयर किए हैं

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वॉशिंगटन। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने मंगल ग्रह को लेकर एक बड़ा दावा किया है। नासा ने अपने क्यूरियोसिटी रोवर की मदद से मिली जानकारी के हवाले से यह बात कही है। आपको बता दें कि अब मंगल गृह पर पानी की तलाश करके जीवन की संभावनाएं तलाश की जा रही थी, अब अगर वहां ऑक्सीजन की भी बात है तो ऐसे में ये संभावनाएं और बढ़ जाती हैं।

काफी समय से मंगल ग्रह पर है क्यूरियोसिटी रोवर

नासा का क्यूरियोसिटी रोवर मंगल ग्रह पर काफी समय से है। ये रोवर गेल क्रेटर में चक्कर लगाते हुए वहां के बारे में नए खुलासे कर रहा है। इस मिशन को नासा ने 26 नवंबर 2011 को लॉन्च किया था। इसका इतना समय तक वहां रहकर ऐसी खोज करना किसी सफलता से कम नहीं है। क्यूरियोसिटी रोवर ने अब तक पृथ्वी के साथ कई डेटा शेयर किए हैं।

मीथेन की मौजूदगी की भी मिली थी जानकारी

इसी साल की शुरुआत में ही क्यूरियोसिटी ने मंगल के वातावरण में उच्च स्तर की मीथेन की जानकारी नासा को भेजी थी। आपको बता दें कि मीथेन एक बायोमार्कर की तरह देखा जाता है। अब रोवर ने मंगल पर आक्सीजन होने के भी संकेत दिये हैं। मीथेन के साथ, ऑक्सीजन जैविक जीवों की उपस्थिति का संकेत दे सकता है, इसलिए यह क्यूरियोसिटी मॉनिटर है।

ऑक्सीजन की मात्रा में नहीं होता अधिक बदलाव

क्यूरियोसिटी रोवर द्वारा भेजे गए डाटा से पता चलता है कि मंगल पर 95% कार्बन डाइऑक्साइड, 2.6% नाइट्रोजन, 1.9 आर्गन, 0.16 ऑक्सीजन और 0.06% कार्बन मोनोऑक्साइड मौजूद है। मौसम के अनुसार इन गैसों का प्रतिशत बदलता भी रहता है। हालांकि, इस नए अध्ययन में यह भी पता चला है कि ऑक्सीजन की जो मात्रा है वो बाकी गैसों की तुलना में अधिक बदलता है। ये भी पता चला है कि वसंत और गर्मियों के दौरान, ऑक्सीजन का स्तर 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। फिर सर्दियों में इसकी मात्रा में कमी आ जाती है।