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नेपाल: केपी शर्मा ओली ने गंवाया प्रधानमंत्री का पद, संसद में नहीं साबित कर सके बहुमत

locationनई दिल्लीPublished: May 10, 2021 07:04:14 pm

Submitted by:

Mohit sharma

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सोमवार को संसद के निचले सदन में अपना बहुमत साबित करने से चूक गए हैं

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नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ( Nepal PM KP Sharma Oli ) सोमवार को संसद के निचले सदन में अपना बहुमत साबित करने से चूक गए हैं, जिसके साथ उन्होंने अपना पीएम पद गंवा दिया है। आपको बता दें कि पुष्पकमल दहल प्रचंड ( Pushpa kamal Dahal Prachanda ) वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ( माओवादी केंद्र ) ने ओली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद उनको निचले सदन में अपना बहुमत साबित करना था। जिसके चलते नेपाल में सोमवार को संसद का विशेष सदन बुलाया गया था। इस दौरान नेपाल के 275 सदस्यी सदन में ओली केवल 93 वोट ही हासिल कर सके, जबकि उनको 136 वोटों की जरूरत थी। इस तरह से वह अपना बहुमत साबित करने में असफल साबित हुए।

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सदन में विश्वास मत के खिलाफ 124 वोट पड़े। हालांकि इस दौरान 35 सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, जबकि 15 सांसद तटस्थ रहे। सदन में बहुमत खोने के बाद वह वहां के संविधान के आर्टिकल 100 (3) के अनुसार प्रधानमंत्री पद से मुक्त हो गए। आपको बता दें कि फ्लोर टेस्ट के पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को एक बड़ा झटका लगा था। दरअसल, उनकी पार्टी के सांसदों के एक वर्ग ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र में भाग नहीं लेने का फैसला किया था। विशेष सत्र फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाया गया था। पार्टी के एक नेता भीम रावल ने कहा कि पार्टी के असंतुष्ट गुट के 20 से अधिक विधायकों ने सत्र का बहिष्कार करने का फैसला किया।

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परिणामस्वरूप, प्रधानमंत्री को अपनी ही पार्टी के असंतुष्ट गुट से वोट मिलने की संभावना नहीं रही। इससे पहले दिन में, ओली ने पार्टी के असंतुष्ट गुट से जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, “मैं सभी सांसदों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि कोई भी फैसला करने में जल्दबाजी न करे। आइए एक साथ बैठें, चर्चा करें और किसी भी समस्या का समाधान निकाले।” गौरतलब है कि ओली को फरवरी 2018 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के समर्थन से प्रधानमंत्री चुना गया था जिसके अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड हैं। लेकिन मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी के विलय को रद्द कर दिया था।

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