भारत और अमरीका के बीच बढ़ती हुई नजदीकियों से पाकिस्तान चिंतित है। दक्षिण एशिया में भारत का बढ़ता प्रभाव एक तरफ पाकिस्तान की लिए सिरदर्द बनता जा रहा है तो दूसरी तरफ अमरीका द्वारा भारत को एक के बाद छूट देते जाने से भी पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि भारत-रूस मिसाइल समझौता होने के बाद अमरीका निश्चय ही भारत पर प्रतिबंध लगा देगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उलटे अमरीकी सरकार ने बयान जारी कर कहा कि अमरीकी प्रतिबंधों का उद्देश्य भारत जैसे मित्रों को कमजोर करना नहीं है। उधर अमरीका ने पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद उस पर एक के बाद कई सख्त कार्रवाइयां की हैं। अमरीका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद भी रोक दी है। ऐसे में पाकिस्तान एकदम बौखलाया हुआ है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पिछले दिनों अमरीका के दौरे पर थे। अपने लम्बे अमरीकी दौरे से लौटने के बाद शनिवार को उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अमरीका को इस्लामाबाद के साथ रिश्तों को केवल अफगान मसले या भारत के साथ संबंधों के संदर्भ में नहीं देखना चाहिए। दोनों देश पुराने सहयोगी हैं। कुरैशी ने कहा कि कि उन्होंने अमरीका को यह बताने की कोशिश की है कि दोनों देशों के ७० साल पुराने संबंधों को भारत के चश्मे से देखना गलत है। कुरैशी ने कहा कि हर देश को समय के साथ अपनी नीतियों में बदलाव करने पड़ते हैं लेकिन दक्षिण एशियाई क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए पाकिस्तान के योगदान को याद रखा जाना चाहिए। बता दें कि कुरैशी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए न्यूयार्क गए थे। वहां से वह वाशिगटन भी गए। वाशिगटन में अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की आस में वह एक सप्ताह वहीं पड़े रहे लेकिन अमरीकी प्रशासन ने उन्हें कोई भाव नहीं दिया।
पाकिस्तान इन दिनों गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। देश की अर्थव्यवस्था बेहद मुफलिसी के दौर में है। ऐसे में इमरान सरकार ने सरकारी खर्चे पर अंकुश लगाने का फैसला किया है। पाकिस्तान बांधों के लिए चंदे का सहारा ले रहा है। वहीं सरकारी इस्तेमाल के लिए मौजूद कारें और भैसें भी बेची जा रही हैं। आतंकवाद पर दोहरा रवैया अपनाने के कारण अमरीका ने ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की मदद रद्द कर दी है। इन सबके चलते अमरीका से तनातनी दिखाने वाले पाकिस्तान को अपने तेवर नरम करने पड़े हैं।