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AMU में पाकिस्तान के जनक जिन्ना की फिर तस्वीर लगाई, भाजपा सांसद गर्म

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगाने के बाद एक बार फिर विवाद हो गया है।

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jinnah

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अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय यानी एएमयू का विवादों से गहरा नाता है। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर उठा विवाद पीछा नहीं छोड़ रहा है। अब नया विवाद हुआ है है ऐतिहासिक मौलाना आजाद लाइब्रेर में जिन्ना की तस्वीर लगाने को लेकर। इस मामले में लाइब्रेरियन अमजद अली को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। एएमयू के यूनियन हॉल में जिन्ना की तस्वीर का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उछला था। तब एएमयू में बवाल हुआ था।

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क्या है मामला

गांधी जयंती के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद लाइब्रेरी के केंद्रीय हाल में गांधी प्रदर्शनी लगाई गई थी। इसका उद्घाटन सह कुलपति प्रो. एमएच बेग ने किया था। इसमें महात्मा गांधी से संबंधित पुस्तकों व उन पत्रों को प्रदर्शित किया गया था, जो उन्होंने एएमयू के छात्रों को लिखे थे। गांधी के चित्रों की प्रदर्शनी भी लगी थी। इसमें कुछ ऐसे फोटो भी लगे थे, जिसमें गांधी के साथ जिन्ना भी मौजूद थे। जिन्ना की तस्वीर देखकर एक बार फिर चर्चा होने लगी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन को इसकी भनक लगी तो जिन्ना की तस्वीर हटा दी गई। साथ ही लाइब्रेरियन अमजद अली को नोटिस देकर तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस प्रकरण पर एएमयू जनसंपर्क कार्यालय के मेंबर इंचार्ज प्रो. शाफे किदवई ने बताया कि जिन्ना के तमाम फोटो हटवा दिये गये है।

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सांसद ने किया वीसी को फोन

अलीगढ़ से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सतीश गौतम को जब जिन्ना की तस्वीर के बारे में जानकारी मिली तो वे गर्म हो गए। उन्होंने एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर को फोन लगाया। प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि वे विदेश में हैं, उनके संज्ञान में कुछ नहीं है। सांसद ने कहा कि एएमयू ने ऐसा कृत्य किया है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। राष्ट्रपति महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के साथ जिन्ना की तस्वीर बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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इतिहासकार को आपत्ति

प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी से महात्मा गांधी एवं जिन्ना की तस्वीर हटाने से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता की तस्वीर से भला किसे आपत्ति हो सकती है। उन्होंने एएमयू प्रशासन द्वारा लाइब्रेरियन को नोटिस दिये जाने पर भी एतराज जताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिन्दू महासभा के लोग अंग्रेजों से माफी मांगते रहे हैं। आज वही लोग शोर मचाते रहते हैं।

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जिन्ना और एएमयू

भारत के बंटवारे के पूर्व 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना को एएमयू छात्र संघ द्वारा मानद सदस्यता प्रदान की गई थी। उस समय वह एएमयू में आए भी थे। एएमयू के यूनियन हॉल में आज भी जिन्ना की तस्वीर लगी है। मोहम्मद अली जिन्ना ने मुंबई की संपत्ति का एक हिस्सा एएमयू को दिया था। हालांकि एएमयू द्वारा उस संपत्ति को स्वीकार नहीं किया गया।