कश्मीर में ‘कुछ भी हो सकता है’
शाह महमूद कुरैशी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र के दौरान पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे, इस दौरान ही उन्होंने यह बड़बोला बयान दिया। कुरैशी का कहना था कि अगर कश्मीर के हालात ‘ऐसे’ ही रहे तो कुछ भी हो सकता है। कुरैशी ने कहा, ‘पाकिस्तान और भारत दोनों युद्ध का अंजाम समझते हैं। फिर भी आकस्मिक युद्ध से इनकार नहीं किया जा सकता है।’
द्विपक्षीय वार्ता नहीं, बहुपक्षीय मंच की जरूरत
कुरैशी ने इसके साथ ही दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए किसी तरह की द्विपक्षीय वार्ता की संभावना से इनकार किया। उनका कहना है कि, ‘नई दिल्ली में आज जो मानसिकता है, इसके साथ मुझे द्विपक्षीय वार्ता के लिए कोई जगह नहीं दिखाई देती।’ कुरैशी ने मामले के समाधान के लिए बहुपक्षीय मंच या तीसरे पक्ष के मध्यस्थता की बात कही। उन्होंने कहा कि अमरीका की का क्षेत्र में काफी प्रभाव है, वो चाहे तो हल निकल सकता है।