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पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर मुद्दे पर पिछले दरवाजे से भारत के सामने रखा वार्ता का प्रस्ताव, नहीं मिला कोई भाव

पश्चिमी राजनयिकों और एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने यह जानकारी दी, सेना के शीर्ष कमांडर जनरल कमर जावेद बाजवा के बदले रुख

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पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर मुद्दे पर पिछले दरवाजे से भारत के सामने रखा वार्ता का प्रस्ताव, नहीं मिला कोई भाव

इस्‍लामाबाद। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलगाव झेल रहा पाकिस्तान जल्द भारत के आगे घुटने टेक सकता है। कमजोर अर्थव्यवस्था के कारण पाकिस्तान सेना भी भारत से शांति वार्ता के लिए तैयार है। पाकिस्तान की सेना ने हाल ही में भारत से वार्ता की कोशिश की थी,जिसपर उसे ठंडी प्रतिक्रिया मिली है। यह जानकारी पश्चिमी राजनयिकों और एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने दी है। सेना के शीर्ष कमांडर जनरल कमर जावेद बाजवा द्वारा शुरू किया गया प्रयास पाकिस्तान के राष्ट्रीय चुनाव से कुछ महीने पहले शुरू हुआ था। पाकिस्तान ने कश्मीर क्षेत्र में अपने सीमा विवाद पर भारत के साथ बातचीत शुरू करने की पेशकश की। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य भारत-पाकिस्‍तान के बीच व्यापार के लिए बाधाओं को खोलना है, जो पाकिस्तान को क्षेत्रीय बाजारों तक अधिक पहुंच देने के लिए भी था।

मजबूत अर्थव्‍यवस्‍था के बगैर सुरक्षा नहीं

पाकिस्‍तान की सेना देश की तेजी से गिरती अथव्‍यवस्‍था को सुरक्षा के खतरे के रूप में देख रही है। इससे जनता में विद्रोह की स्थिति पैदा हो सकती है। पाकिस्‍तान ने इस माह आइएमएफ (आइएमएफ इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड) से नौ मिलियन का फंड मांगा है। इसी माह पाकिस्‍तान को चीन का कई अरब डॉलर का ऋण को चुकाना है। ऐसे में पाक दो तरफा ऋण के बोझ से घिरा पड़ा है। पाकिस्‍तान के संचार मंत्री फवाद चौधरी का कहना है कि हम अब आगे बढ़ना चाहते हैं। भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्‍छे संबंध चाहते हैं।

बाजवा का भारत के प्रति रूख पड़ा नरम

जनरल बाजवा का कहना है कि देश नहीं बल्कि क्षेत्र समृद्ध एक दूसरे को करते हैं। पाकिस्तान के कमजोर होने से भारत समृद्ध नहीं हो सकता है। बाजवा का भारत के प्रति रूख नरम पड़ा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में एक भाषण में बाजवा ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को क्षेत्र की सुरक्षा से जोड़कर देखा था। इसे लेकर वह चिंतित दिखाई दे रहे हैं। गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था के खराब दौर से गुजरने के कारण पाकिस्तान की सेना के पास अब बड़े युद्ध को झेलने की क्षमता नहीं रह गई है। पाक समस्याओं ने घिरता जा रहा है। आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण कई देशों ने उससे दूरियां बना ली हैं।