
दक्षिण अफ्रीका चुनाव: राष्ट्रपति रामाफोसा की पार्टी ANC ने बनाई बढ़त, बहुमत से दूर
जोहानसबर्ग।दक्षिण अफ्रीका ( South Africa ) में बुधवार को छठा राष्ट्रीय चुनाव के लिए वोट डाले गए। शुक्रवार देर रात मतों की गिनती शुरू हो गई है और अभी तक के चुनाव परिणामों के मुताबिक अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस ( ANC ) लीड कर रही है। ANC सबसे अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। हालांकि ANC बहुमत से दूर रह गई। इस बार के चुनाव में किसी को भी पूर्ण बहुमत मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। बता दें कि अभी चुनाव परिणाों की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। अभी आयोग की ओर से अनाधिकृत चुनाव परिणाम जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक ANC अभी तक सबसे अधिक 57 फीसदी वोटों के साथ लीड कर रही है। तो वहीं विपक्षी दल डेमोक्रेटिक एलाइंस (DA) महज 21 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर चल रही है। 90 फीसदी वोटों की गिनती हो चुकी है। ANC के समर्थकों को उम्मीद है कि 60 फीसदी से कम वोट नहीं मिलेंगे।
बहुमत से दूर ANC
बता दें कि नेल्सन मंडेला की पार्टी अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस जो कि 1994 से सत्ता में है, इस बार भी फिर से जीत दर्ज कर सत्ता तक पहुंचने की उम्मीद है। इस बार के चुनाव में ANC के लिए अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराना थोड़ा कठिन रहा है। अभी तक के नतीजों के मुताबिक ANC बहुमत से दूर रह जाएगी। पिछली बार 2009 में अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को 66 फीसदी, जबकि 2014 में 62 फीसदी वोट मिले थे। 2014 में ANC को 249 सीट मिले थे, हालांकि 2009 के मुकाबले यह कम थी। 2009 में ANC ने 264 सीटों पर जीत हासिल की थी। मालूम हो कि दक्षिण अफ्रीकी संसद में 400 संसदीय सीट है। राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा जो कि ANC के प्रमुख भी हैं ने अपनी पार्टी में फैले भ्रष्टाचार व विसंगतियों को दूर करने के वादा करते हुए देशभर में अभियान चलाया था और बीते साल इस्तीफा देने वाले अपने पूर्ववर्ती जैकब जुमा को व्यापत भ्रष्टाचार व बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
26 मिलियन मतदाताओं ने किया नई सरकार के किस्मत का फैसला
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका की आबादी 57 मिलियन है। इसमें से 26 मिलियन लोग मताधिकार का प्रयोग करने के लिए योग्य हैं। 26 मिलियन मतदाता नए सरकार के भाग्य का फैसला किया है। अंतिम परिणाम शनिवार को आने की संभावना है। आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में ने तो राष्ट्रपति और न हीं सांसद को सीधे चुना जाता है। मतदाता राष्ट्रीय पार्टी के लिए वोट करते हैं। उसके बाद जिस भी पार्टी को सबसे अधिक वोट मिलते हैं वह यह तय करता है कि कितने प्रतिनिधियों को विधायिका में भेजा जा सकता है। इसी तरह से राष्ट्रपति का चयन सबसे अधिक मत हासिल करने वाली पार्टी से किया जाता है।
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Updated on:
11 May 2019 10:46 am
Published on:
11 May 2019 07:13 am
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