प्रदर्शकारी भारतीय मूल के लोगों की दुकानों और व्यावसायिक इकाइयों में लूटपाट मचा रहे हैं। उपद्रवियों ने सैकड़ों शॉपिंग सेंटरों, मॉल, गोदामों, घरों और गाड़ियों में आग लगा दी है। यहां पर हाईवे को जाम कर दिया गया है। इसके साथ संचार सुविधाएं भी ध्वस्त हो चुकी है। इस लूटपाट में करीब 10,400 करोड़ रुपए के माल को नुकसान पहुंचा है।
शहरों में भी हालात बेहद खराब
पुलिस का आरोप है कि 3 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। रक्षा मंत्री नोसिविवे नककुला के अनुसार हिंसाग्रस्त इलाकों में 10 हजार सैनिक तैनात करे गए हैं। स्थिति अधिक बिगड़ने के बाद 20 हजार सैनिक तैनात करे जाएंगे। रिपोर्ट के अनुसार उपद्रवियों ने क्वाजुलु-नटाल और गौतेंग प्रांतों में अधिक लूटपाट करी है।
क्वाजुलु-नटाल पूर्व राष्ट्रपति जुमा का गढ़ माना जाता है। डरबन, सोवेटो, जोहानसबर्ग शहरों में भी हालात बेहद खराब हैं। पूरे देश में खाद्य संकट उत्पन्न हो चुका है। राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने इस हिंसा को दक्षिण अफ्रीका में 90 के दशक के बाद सबसे भयानक हिंसा करार दिया है। वर्ष 1994 में रंगभेद के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
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भारतीयों की सुरक्षा का मामला उठाया
भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने दक्षिण अफ्रीका में अपने समकक्ष नलेदी पंडोर से इसे लेकर चिंता व्यक्त की है। जयशंकर ने पंडोर के सामने भारतीयों की सुरक्षा का मामला उठाया। इस पर पंडोर ने आश्वासन दिया कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार कानून और व्यवस्था लागू करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। सरकार की प्राथमिकता शांति की जल्द बहाली है।