
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड के साथ ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन।
नई दिल्ली। भारत और अमरीका (America) के बाद अब ब्रिटेन (Britain) ने चीन पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। वह चीनी टेलिकॉम Huawei Technologies के 5 जी नेटवर्क पर पाबंदी लगाने का मन बना रहा है। इससे पहले जनवरी में, ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने सुरक्षा चिंताओं को छोड़कर Huawei को यूके के 5G नेटवर्क में एक सीमित भूमिका निभाने की अनुमति दी थी। सुरक्षा को लेकर कई देशों ने चाइनीज ऐप्स और कंपनियों पर रोक लगा दी है। भारत ने हाल ही में 59 चीनी ऐप्स पर रोक लगाई। इसमें सबसे खास टीकटॉक ऐप है, जो भारत में सबसे अधिक लोकप्रिय है।
इससे पहले अमरीका हुवेई टेक्नोलॉजी ( Huawei Technologies) और जीटीई कॉर्पोरेशन (ZTE Corporation) पर बैन लगा चुका है। अमरीका का कहना है कि ये दोनों चीनी कंपनियां और इनकी सहायक ईकाईयों से 'राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा' है। गौरतलब है कि पहले ही Huawei और ZTE पर लगातार इस बात के आरोप लगते रहें है कि वो चीनी सरकार के साथ अमरीकी नागरिकों को डेटा साझा करती हैं।
अमरीका ने क्यों हैं लगाया बैन?
Huawei-ZTE पर अमरीका बीते एक दशक से सवाल उठाता रहा है। इस मामले पर सबसे पहले औपचारिक कदम 2012 में उठाया गया था। तब अमरीका की हाउस इंटेलीजेंसी कमिटी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि Huawei और ZTE अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर खतरा हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इनमें से किसी भी कंपनी ने अमरीका के उठाए सवालों का जवाब नहीं दिया था।
इसके बाद 2018 में, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि ZTE अमरीका में अपना कारोबार जारी रख सकती है। मगर उसे 1.3 अरब डॉलर का जुर्माना देना होगा। इसके साथ ZTE को उच्च कोटि की सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करनी होगी। ट्रंप से पहले भी पूर्व में राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन ने भी ZTE पर 7 साल का प्रतिबंध लगाया था। ओबामा प्रशासन ने यह फैसला ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध का उल्लंघन करने के आरोप में लगाया था।
Updated on:
05 Jul 2020 10:40 am
Published on:
05 Jul 2020 10:38 am
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