16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

संयुक्त राष्ट्र: शांति स्थापना बजट में की 61 करोड़ डॉलर की कटौती, भारत को होगा फायदा

संयुक्त राष्ट्र ने इस साल अपने शांति स्थापना बजय में 61 करोड़ डॉलर की कटौती की है। इस कटौती से भारत को 940,000 का फायदा होगा।

2 min read
Google source verification
UN

संयुक्त राष्ट्र: शांति स्थापना बजट में कि 61 करोड़ डॉलर की कटौती, भारत को होगा फायदा

संयुक्त राष्ट्र।संयुरक्त राष्ट्र ने इस साल के अपने शांति स्थापना बजट में 61 करोड़ डॉलर की कटौती की है। इस कटौती को शांति रक्षकों के मासिक भुगतान में बढ़ोतरी कर दी जाएगी। यह बढ़ोतरी प्रति महीने 96 डॉलर की होगी। बता दें कि महासभा ने गुरुवार को एक जुलाई से शुरू हुए वित्त वर्ष का बजट 6.69 अरब रखा है, जो पिछले साल के मुकाबले 7.3 अरब डॉलर कम है। इसमें 8.36 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

यह भी पढ़ें-जम्मू-कश्मीर: असिया अंद्राबी को दिल्ली ले जाने के विरोध में अलगाववादियों का बंद, जनजीवन प्रभावित

भारत की हिस्सेदारी इतनी फीसदी हुई

आपको बता दें कि अब शांति स्थापना भुगतान में भारत की हिस्सेदारी कुल राशि में 0.1474 फीसदी हो गई है। पिछले साल भारत ने शांति स्थापना भुगतान में 1.076 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था। लेकिन अब इस साल उसे 98.2 लाख डॉलर का भुगतान करना होगा। इससे उसे 940,000 डॉलर का फायदा होगा।

यह भी पढ़ें-पूर्व महिला पत्रकार ने कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो पर लगाया जबरन छूने का आरोप

भारतीय जवानों को होगा फायदा

प्रत्येक शांति रक्षक को पिछले साल के मुकाबले अब 1,332 डॉलर के बजाए प्रति माह 1,428 डॉलर का अधिक भुगतान करना होगा। 7.2 फीसदी की इस वृद्धि से संयुक्त राष्ट्र अभियानों में शामिल 6,172 भारतीय जवानों को फायदा होगा।

यह भी पढ़ें-जम्मू-कश्मीर: असिया अंद्राबी को दिल्ली ले जाने के विरोध में अलगाववादियों का बंद, जनजीवन प्रभावित

50 करोड़ डॉलर की हुई बचत

गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान हैती और लाइबेरिया में दो शांति स्थापना अभियान खत्म क कर दिए गए है।इसके समाप्त होने की वजह से 50 करोड़ डॉलर की बचत हुई है। इतनी बड़ी बचत होना सभी संभाव है जब तक ऐसे अभियान को खत्म नहीं किया जाता या फिर सख्त आर्थिक उपायों का पालन नहीं किया जात। भविष्य में ऐसे अभियान बंद होने से और बचत होगी। फिर सख्त आर्थिक उपायों का पालन नहीं किया जाता।