हाल ही में अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने उइगर मुस्लिमों पर उत्पीडऩ के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन को चेतावनी भी दी है। हालांकि, देखा जाए तो चीन में केवल उइगर मुस्लिम ही नहीं बल्कि, चीन फालुन गोम नाम के समुदाय पर भी उत्पीडऩ की घटनाएं समय-समय पर दिखाई और सुनाई देती रही हैं। चीन में इस समुदाय पर हिंसा की हद इस कदर है कि चीन सरकार ने खुद इसे शैतानी मजहब का नाम दिया है।
यह भी पढ़े:- जानिए क्या होती है समुद्री बर्फ, समुद्री जीवों के साथ-साथ पृथ्वी के लिए कितना है इसका महत्व सिर्फ 29 साल पुराना है यह समुदाय चीन में फालुन गोंग नाम के समुदाय का उद्भव वर्ष 1992 में हुआ। या यूं कहें कि इस समुदाय को मानने की शुरुआत चीन में 1992 में हुई। यह एक ध्यान से जुड़ी पूरी प्रक्रिया का हिस्सा रही है और चीन की संस्कृति
की-गोंग पर आधारित है। इसमें सीधे बैठकर एक खास तरीके से सांस ली जाती है। इससे शरीर की बीमारियों और मन के विकारों को दूर करने का दावा किया जाता है। चीन के मशहूर अध्यात्मिक गुरु ली होंगजी ने इसकी शुरुआत की थी।
पेरिस में चीन के दूतावास ने इस पद्धति को मानने वालों को बुलवाया चीन में ध्यान की यह खास पद्धति लोकप्रिय होती गई। इसके मशहूर होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पेरिस में चीन के दूतावास ने इस पद्धति को मानने वालों को बुलवाया, जिससे वे फ्रांस में बसे चाइनीज लोगों को भी यह बता सकें। चीन की सरकार ने खुद आंकड़े जारी करके बताया कि ध्यान की इस खास पद्धति से सरकार की ओर से हर साल स्वास्थ्य मामलों में खर्च किए जाने वाले बजट में कमी आई।
यह भी पढ़े:- हम यहां 9 साल से रह रहे, अब पुलिस तंग क्यों कर रही है… नहीं पता फिर सरकार ने शैतान क्यों बता दिया चीन की सरकार ने इस समुदाय को शैतानी मजहब नाम क्यों दिया, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। क्यों सरकार इस समुदाय को शांति के लिए खतरा मानती है, इस पर कभी उसने अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि, चीन की सरकार ने यह तकर्क जरूर दिया है कि यह समुदाय या धर्म चीन के लिए खतरा है। खास पद्धति के जरिए ध्यान करने वाला यह समुदाय एक खतरनाक समूह है और विदेशी धर्मों से प्रेरित है। चीन के सरकारी मीडिया की ओर से किए गए दावों के मुताबिक, इस समुदाय के लोग एकदूसरे को या फिर खुद को प्रताडि़त करते हैं।
समुदाय के लोगों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी अधिक! इसमें यह भी दावा किया गया है कि इस समुदाय के लोगों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी अधिक है। हालांकि, इन दावों के कोई प्रमाण नहीं दिए गए। चीन के इन दावों की जांच के लिए जब कोई विदेशी एजेंसी यहां आना चाहती थी, तब सरकार ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। वहीं, मानवाधिकारों पर काम करने वाली संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी चीन की सरकार और चीन के सरकारी मीडिया के दावों को बेकार तथा फर्जी बताया है। वहीं, जानकारों का कहना है कि चीन किसी धर्म को नहीं मानता, मगर इस धार्मिक समुदाय के लोगों की बढ़ती संख्या वहां की सरकार को अच्छी नहीं लग रही।
इस समुदाय को खतरा मानती है चीन की सरकार
चीन की सरकार इस धार्मिक समुदाय को अपने लिए खतरा मानती है और शायद यही वजह है कि वहां की सरकार इस समुदाय के लोगों को घर से पकडक़र उन्हें खास कैंप में भेज रही है। यही नहीं, बहुत से लोगों को तो सरकार ने मेंटल हास्पिटल यानी पागलखाने भी भिजवा दिया। कैंप को सरकार ने लेबर कैंप का नाम दिया है, जहां सुधार के नाम पर यातनाएं दी जाती हैं। गोंग समुदाय के लोगों को बिजली के झटके दिए जाते हैं। कई-कई दिनों तक उन्हें भूखा रखा जाता है या फिर खूब पानी पिलाया जाता है और इसके बाद उन्हें टॉयलेट भी नहीं जाने दिया जाता।