इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से एयर लीकेज, NASA ने खतरे की बात से किया इनकार WHO का कहना है कि कई देशों में टेस्टिंग कम होने के कारण नतीजों में देरी हो रही है। इससे संक्रमण के तेजी से फैलने में मदद मिल रही है। संगठन के मुताबिक ये टेस्ट काफी सस्ता होगा। इसका खर्च केवल पांच डॉलर या लगभग साढ़े तीन सौ रुपये है।
इससे ऐसे देशों को फाय मिल सकेगा,जहां स्वास्थ्यकर्मियों बेहद कम हैं। इसके साथ प्रयोगशालाओं की कमी है। संगठन का कहना है कि इस टेस्ट को तैयार करने वाली कंपनी के साथ जो करार हुआ है उसके अनुसार कंपनी छह माह के भीतर 12 करोड़ के टेस्ट करा सकेगी।
अमरीका की जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें केवल अमरीका, ब्राजील, भारत और मेक्सिको में हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस टेस्ट को मील का पत्थर करार दिया था। संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेडरोस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) का कहना है कि इस टेस्ट को आसानी से करा जा सकता है। इसकी कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसके नतीजे कुछ घंटों के बजाय कुछ मिनटों में आते हैं। इसे 15 से 20 मिनट का समय लगता है।
US Presidential Debate: ट्रंप ने कसा तंज, कहा-अगर बिडेन उनकी जगह होते तो कोरोना से दो करोड़ लोगों की मौत होती दवाई निर्माता कंपनी ऐबोट एंड एसडी बायोसेनर ने बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर 12 करोड़ टेस्ट को तैयार किया है। इस समझौते का फायदा दुनिया के 133 देशों को होगा। इसमें महामारी से पीड़ित लैटिन अमरीका के भी कई देश शामिल हैं।