
Ali ahmed Jalali
नई दिल्ली। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान ( Taliban ) के कब्जे और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर अशरफ गनी ( Ashraf Ghani ) द्वारा देश छोड़ने के बीच एक बड़ी सूचना आई है। खास बात यह है कि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण होगा और अंतरिम अफगान सरकार ( Interim Afghan Government ) की जिम्मेदारी पूर्व गृह मंत्री अली अहमद जलाली ( Ex Interior Minister Ali Ahmed Jalali ) संभाल सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि तालिबानी आतंकियों द्वारा अफगानिस्तान ( Afghanistan ) फतह करने के बावजूद सरकार की चाबी अली अहमद जलाली के हाथ में क्यों?
शासन-प्रशासन की गहरी जानकारी
दरअसल, अली अहमद जलाली अफगानिस्तान के लिहाज से सिर्फ एक बड़े नेता नहीं हैं, बल्कि कूटनीति के मामले में भी काफी सक्षम और प्रभावी राजनेता हैं। वह कई मौकों पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनके पास शासन और प्रशासन की गहरी जानकारी है। वह सेना कर्नल, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, कुशल राजनयिक और अफगान आंतरिक मंत्रालय का जिम्मा संभाल चुके हैं। यही वजह है कि वे अफगानिस्तान की राजनीति को भी समझते हैं और तालिबान पर भी उनकी अच्छी पकड़ है।
अली अहमद जलाली ही क्यों?
इस सवाल को जानने के लिए अली अहमद जलाली के बैकग्राउंड को जानना जरूरी है। उनका जन्म अफगानिस्तान में नहीं, बल्कि अमरीका में हुआ था। वे 1987 से अमरीका के नागरिक थे और मैरीलैंड में रहते थे। बाद में साल 2003 में उनकी अफगानिस्तान में उस समय वापसी हुई थी जब तालिबान का कहर कम हो रहा था। देश को एक मजबूत सरकार की दरकार थी। 18 साल मुश्किल घड़ी में जलाली को देश का इंटीरियर मिनिस्टर बनाया गया था। वे सितंबर 2005 तक इस पद पर बने रहे थे। इसके अतिरिक्त जब अफगानिस्तान में 80 के दशक में सोवियत संघ संग लंबा युद्ध चला था तब भी अली अहमद जलाली ने एक सक्रिय भूमिका अदा की थी। उस समय वे अफगान आर्मी में कर्नल के पद पर थे। उस समय वह Afghan Resistance Headquarters के लिए शीर्ष सलाहकार की भूमिका भी निभा रहे थे। यानि जलाली ने हर मुश्किल घड़ी में अफगानिस्तान के लिए निर्णायक काम किया है।
जलाली पर लोगों को है भरोसा
2004 के राष्ट्रपति चुनाव और 2005 में संसदीय चुनाव कराने में जलाली पहले ही बड़ी भूमिका अदा कर चुके हैं। सत्ता के हर फन में खिलाड़ी होने की वजह से अफगानिस्तान के लोगों को अली अहमद जलाली पर भरोसा भी है। देश के इंटीरियर मंत्री रहते हुए उन्होंने अफगान नेशनल पुलिस की पूरी एक फौज खड़ी कर दी थी। उस फौज में करीब 50 हजार जवानों को ट्रेनिंग दी गई थी। इसके अलावा सीमा पुलिस के भी 12 हजार अतिरिक्त सैनिक तैयार किए गए थे। आतंकवाद से लेकर घुसपैठ तक जैसे पहलुओं पर जलाली की नीति स्पष्ट और सख्त थी।
सबसे बेहतर विकल्प
इसलिए अफगानिस्तान के पास उनसे बेहतर विकल्प और कोई नहीं माना जा रहा है। लेकिन ये भी तय है कि अंतरिम सरकार में तालिबान की जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप रह सकती है। अब वे कैसे और कितनी जल्दी अफगानिस्तान को वर्तमान दशहत और संघर्ष से मुक्त करा ले जाते हैं ये देखने वाली बात होगी।
Updated on:
15 Aug 2021 10:13 pm
Published on:
15 Aug 2021 09:57 pm
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