
अफगानिस्तान पर बातचीत के न्योते को अमरीका ने क्यों खारिज किया
वाशिंगटन। अफगानिस्तान के मुद्दे पर वार्ता के लिए अमरीका शामिल नहीं हो रहा है। रूस के इस न्योता को उसने अस्वीकार कर दिया है। ट्रंप प्रशासन के अनुसार इस वार्ता से युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में शांति कायम करने में कोई मदद नहीं होगी। अमेरिका का यह बयान तब आया है,जब वो अफगानिस्तान में नए विशेष दूत के तौर पर एक अनुभवी राजनयिक को नियुक्त करने के लिए तैयार है।अमरीका ने हाल में अफगानिस्तान में हुए आतंकी हमलों के कारण इस वार्ता से इनकार कर दिया है। उसका मानना है कि संगठन ने अपनी गतिविधियों को चालू रखा है।
वार्ता में तालिबान शामिल होगा
रूस के अनुसार कई पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों के साथ चार सितंबर को मॉस्को वार्ता में तालिबान भी शामिल होगा। 2001 में अमरीका पर हमले के बाद किसी आतंकवादी समूह का सबसे बड़ा कूटनीतिक कदम है। ऐसे में रूस का तर्क था कि उसे भी इस वार्ता में शामिल होना चाहिए।
वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला
अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि सिद्धांत के आधार पर अमेरिका शांति स्थापित करने में अफगान के नेतृत्व वाले प्रयासों का समर्थन करता है। लेकिन यह पहली बार नहीं है,जब अफगानिस्तान को लेकर कोई वार्ता हो रही है। अफगानिस्तान पर रूस के नेतृत्व में पहले भी कई बैठक हुई, लेकिन इनका कोई नतीजा नहीं निकाला। मॉस्को वार्ता से भी अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने की ओर कोई प्रगति होने की संभावना नजर नहीं आ रही है। गौरतलब है कि अमेरिका की ओर से मॉस्को वार्ता में शामिल ना होने का यह निर्णय तब लिया गया है,जब तालिबान ने अफगानिस्तान में हमले तेज कर दिए हैं और इसने अफगानिस्तान से सीधे बातचीत करने से इंकार कर दिया है।
Published on:
23 Aug 2018 02:17 pm
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