Nepal के पीएम ने लगाए आरोप, कहा-भारत के कारण यहां पर बढ़ रहे Coronavirus के मामले हालांकि विशेषज्ञों का एक पक्ष अब भी मानता है कि मलेरिया में की दवा HCQ कोरोना वायरस के इलाज के लिए असरदार साबित हो सकती है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों इस दवा की वकालत करते हुए कहा था कि वे संक्रमण से बचने के लिए इस दवा का रोज सेवन करते हैं। जिसके बाद से इस बात पर बहस छिड़ गई कि क्या ये दवा वकाई असरदार हो सकती है।
सेफ्टी डेटा की समीक्षा होगी WHO के प्रमुख टेड्रोस एडनोम घेबियस (Tedros Adhanom Ghebreyesus ) ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बताया कि बीते सप्ताह लैंसेट में एक अध्ययन के प्रकाशित होने के बाद फैसला लिया कि कोरोना वायरस के रोगियों पर इस दवा का उपयोग करने से उनके मरने की संभावना बढ़ सकती है। इसके कारण WHO ने परीक्षणों को निलंबित कर दिया है। वहीं सुरक्षा को लेकर इसकी समीक्षा की जा रही है। टेड्रोस के अनुसार पहले डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड सेफ्टी डेटा की समीक्षा करेगा। ट्रायल के बाकी हिस्से जारी रहेंगे।
‘क्लिनिकल ट्रायल’ तक ही सीमित कर दिया WHO हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ.माइकल रयान ने बताया कि वास्तव में कोविड-19 संक्रमण के उपचार में दवा के संभावित दुष्प्रभावों को देखते हुए कई देशों ने इसके उपयोग को ‘क्लिनिकल ट्रायल’ तक ही सीमित कर दिया है। उनका कहना है कि इसके प्रयोग के कई संभावित साइड इफेक्ट्स हुए हैं और आगे कई और भी हो सकते हैं। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में अमरीका ने कई बार भारत से इस दवा की मांग की। इसके बाद भारत ने इस दवा की बड़ी खेप अमरीका पहुंचाई। ये मलेरिया रोधी दवा है।