परिजन यह भी दावा कर रहे हैं कि गेंदालाल को समाधि के अंदर किसी तरह से ऑक्सीजन की सफ्लाई नहीं की गई थी और ना ही उन्हें खाना-पीना दिया गया था। कहते हैं विज्ञान और अन्धविश्वास के बीच एक महीन रेखा होती है, जिसे तोड़ने के लिए ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ता। आधुनिक दौर और विज्ञान के इस युग में भला कौन विश्वास करेगा की इकतालीस दिन कोई इंसान बगैर ऑक्सीजन और पानी के जीवित रह जाए, लेकिन अन्धविश्वास पर आस्था अपने आगे किसी भी तर्क को टिकने नहीं देती। गेंदालाल की हालत के बारे में परिजनों का दावा है की वो स्वस्थ हैं और उन्हें इलाज की जरूरत नहीं है।