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Lockdown: जहरीली हवा से इस शहर को मिली मुक्ति, एक महीने में AQI पहुंचा 58

Highlights -लॉकडाउन के चलते एक महीने से उद्योग धंधे भी चल रहे हैं बंद -वाहनों की आवाजाही भी थमी है -पीतल की वैध-अवैध भट्टियां और कारखाने भी बंद हैं -बीते कई सालों में हवा का स्तर रिकॉर्ड स्तर पर सुधरा

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मुरादाबाद: कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉक डाउन(Lock Down) को आज एक महीना पूरा हो रहा है। इस पूरे महीने में आम जनजीवन खासा प्रभावित हुआ है। लेकिन इसके विपरीत इस लॉक डाउन के चलते पर्यावरण को काफी राहत मिली है। जी हां शहर में जो AQI कभी 200 से नीचे नहीं गया है वो अब 50 तक पहुंच रहा है। यही नहीं शहर से गुजरने वाली रामगंगा नदी (Ramganga River) और गागन नदी (Gagan River) में भी प्रदूषण (Pollution) का स्तर काफी कम हुआ है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board) के मुताबिक बीते कई सालों में ऐसे आंकड़े दर्ज नहीं हुए। जिन इलाकों में हवा बहुत ज्यादा खतरनाक स्तर पर थी अब वहां काफी सुकून है।

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एक महीने से सबकुछ है बंद
एक महीने से लोगों घरों में बंद हैं, यही नहीं सभी प्रकार के उद्योग धंधे, पीतल की भट्टियां और कारखाने भी बंद हैं। जिस कारण सभी प्रकार के प्रदूषण (Pollution) पर लगाम लगी है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी आर के शर्मा के मुताबिक ये स्थिति सामान्य दिनों में ला पाना मुश्किल है। 23 अप्रैल को शहर का AQI 58 था, जोकि बीते तीन सालों से रिकॉर्ड किया जाए तो बहुत बेहतर है। लोगों को लॉक डाउन में पर्यावरण के प्रति भी गंभीरता से सोचना होगा।

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ये है आंकड़े
रिकॉर्ड की बात करें तो 2018 में अगर 21,22 और 23 अप्रैल का दर्ज AQI देखें तो 236,216 और 211 है, इसी प्रकार 2019 में इन तारीखों में 234,167 और 201 है। यही आंकड़ा बीते तीन दिनों में 21 अप्रैल को 59,22 को 61 और 23 को 58 है। ये रिकॉर्ड इसलिए दर्ज है क्यूंकि शहर में वायु प्रदूषण दर्ज करने के लिए मशीन 2017 में लगी है।

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टॉप टेन में रहता था शहर
बीते कई सालों में मुरादाबाद शहर के टॉप टेन प्रदूषित शहरों में शामिल है, अक्टूबर और नवम्बर में तो कभी-कभार नम्बर एक पर भी पहुँच जाता है। स्थानीय हिन्दू कॉलेज में वनस्पति विज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनामिका त्रिपाठी जो कोऑर्डिनेटर भी हैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में उनके मुताबिक, लोगों को अब अपने पर्यावरण के प्रति और गंभीर होना पड़ेगा। कोरोना वायरस (Corona Virus) से हम जरुर निपट लेंगे। लेकिन अभी जो बदलाव देखने को मिले हैं इसमें सबको मिलकर प्रयास करना होगा। प्रकृति (Nature) से खिलवाड़ न हो इसके लिए सरकार को भी सकारात्मक कदम उठाने पड़ेंगे।