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महिला नेता के कितने पति मामले में उत्तराखंड सिविल कोर्ट ने पहले पति के पक्ष में सुनाया फैसला

दूसरे पति शफी अहमद के खिलाफ कोर्ट ने दिए मुकदमा दर्ज करने के आदेश, चेयरमैन रहमतजहां को लगा तगड़ा झटका।

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मुरादाबाद। भोजपुर नगर पंचायत चैयरमैन रहमत जहां मामले में सोमवार को उत्तराखंड के जसपुर सिविल कोर्ट ने रहमत जहां के पहले पति नसीम अहमद के दावे को सही माना है। कोर्ट ने पुलिस को दूसरे पति शफी अहमद पर पुलिस को मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। जिससे रहमत जहां और उनके मौजूदा पति शफी अहमद को तगड़ा झटका लगा है। जानकारी के मुताबिक शफी अहमद ने अपने दोस्त नसीम अहमद से उसकी पत्नी रहमत जहां को चेयरमैन का चुनाव लड़ाने के लिए कुछ दिन के लिए उधार लिया था। लेकिन चैयरमैन बनने के बाद उसने वापस भेजने से मना कर दिया था।

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आपको बता दे कि भोजपुर नगर पंचायत अध्यक्ष रहमत जहां पर दो पतियों के दावे के मामले की सुनवाई उत्तराखंड के जसपुर सिविल कोर्ट में चल रही थी। जहां पिछली सुनवाई के दौरान 13 अगस्त की तारीख मिली थी। उत्तराखंड के जसपुर सिविल कोर्ट में रहमत जहां के पहले पति नसीम अहमद ने मुरादाबाद के भोजपुर कस्बा निवासी अपने दोस्त शफी अहमद पर पत्नी उधार लेकर वापस न लौटाने का आरोप लगाया था और जब उसने पत्नी वापस नहीं की तो उसने पत्नी वापस दिलाने के लिए कोर्ट में मामला दायर कर दिया। पहले इस मामले में 8 अगस्त को फैसला आना था। लेकिन तकनीकी कारणों से इस मामले में सुनवाई नहीं हो पाई। सोमवार को सिविल कोर्ट में दोनों पक्ष पेश हुए। जिसके बाद कोर्ट ने पहले पति नसीम अहमद के पक्ष में फैसला सुना दिया। ये मामला अब जनपद के साथ पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है कि महज चुनाव के लिए किसी ने अपनी पत्नी उधार दी हो।

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यह है पूरा मामला
उत्तराखण्ड के रहने वाले नसीम अहमद के मुताबिक रहमत जहां उसकी पत्नी है और इस से उसके दो बच्चे भी हैं। नसीम अहमद के मुताबिक मुरादाबाद के भोजपुर के रहने वाले शफ़ी अहमद उर्फ़ बाबू से उसकी पुरानी दोस्ती थी। दोनों का एक-दूसरे के घर आना जाना था। शफ़ी अहमद 2012 से 2017 तक मुरादाबाद की भोजपुर नगर पंचायत का चेयरमैन था। इस दौरान जब नवम्बर 2017 में भोजपुर नगर पंचायत के चुनाव शुरू हुए तो सीट पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हो गयी।

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शफ़ी अहमद सामान्य जाति के हैं इसलिए वो चुनाव नहीं लड़ सकते थे। लिहाजा उन्होंने अपने दोस्त नसीम अहमद से कहा कि वो अपनी पत्नी रहमत जहां जोकि पिछड़ी जाति से हैं उन्हें भोजपुर नगर पंचायत के चेयरमैन पद के लिए चुनाव में खड़ा कर दे। इस पर नसीम अहमद ने कहा की उसकी इतनी हैसियत नहीं है कि वो चुनाव लड़ा सके इस पर शफ़ी अहमद ने अपनी दोस्ती का वास्ता देते हुए नसीम अहमद से कहा की तुम अपनी पत्नी चुनाव में 15-20 दिन के लिए मुझे उधार दे दो मैं इसे चुनाव में खड़ा कर दूंगा और जीत जाने पर वापस आपके पास भेज दूंगा। उसके बाद जब कभी मीटिंग में जाने की जरूरत होगी तो रहमत जहां को ले जाया करूंगा या उससे हस्ताक्षर यहीं से करा के ले जाया करूंगा।

इतने दिनों के लिए मांगी थी पत्नी
चुनाव में खड़ा होने के लिए रहमत जहां को कागजो में मेरी पत्नी दर्शाना होगा इसलिए कुछ कागज तैयार कराने पड़ेंगे वो मैं करा लूंगा। नसीम अहमद शफी अहमद की बातो में आ गया और दोस्त होने के भरोसे में उसने अपनी पत्नी शफी अहमद को बीस दिन के लिए उधार दे दी।

चुनाव भी जीत गयीं
जिसके बाद रहमत जहां ने शफी अहमद की पत्नी के रूप में भोजपुर नगर पंचायत का चुनाव लड़ा और वो चुनाव जीत गयीं। रहमत जहां को भोजपुर नगर पंचायत का चेयरमेन बने हुए आठ महीने हो चुके हैं।

जीतने के बाद पहले पति के घर भी हुआ था स्वागत
नसीम अहमद के मुताबिक रहमत जहां चुनाव जीतने के बाद एक दिन उसके घर आई थीं और तब सब गांव वालों ने हार मालाएं पहना कर रहमत जहां और नसीम अहमद का स्वागत किया था।


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