
इस शहर में पिता की मौत के बाद बेटियों ने जो किया, वो था हैरान करने वाला
मुरादाबाद: समाज में आज भी भले बेटे और बेटियों को लेकर कई परिवार रूढ़िवादी परम्पराओं का हवाला देते हो लेकिन बदलते दौर में बेटियां हर उस फर्ज को निभा रही है जिसको कभी बेटों का एकाधिकार समझा जाता था। जी हां मुरादाबाद में जहां पिता की मौत के बाद उनकी चार बेटियों ने अपने पिता के शव को कंधा देकर श्मशान तक पहुंचाया और वहीँ अपने हाथों से शव को मुखाग्नि भी दी। पिता को मुखाग्नि देती बेटियों ने जहां अपना फर्ज निभाया वही मौके पर मौजूद लोगों ने भी बेटियों की जमकर सराहना की।
बेटों की तरह पाला पोसा
शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में रहने वाले यशपाल आर्य मूल रूप से रामपुर जनपद के रहने वाले थे। हाइड्रिल विभाग में एसडीओ के पद से रिटायर्ड हुए यशपाल की चार बेटियां है । रिटायर्ड होने के बाद नवीननगर मौहल्ले में रहने वाले यशपाल को कभी बेटे की कमी महसूस नहीं हुई और उन्होंने चारों बेटियों को बेटों से भी ज्यादा नाज से पाला। कुछ दिन पहले तबियत खराब होने पर यशपाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने परिजनों को ब्रेन हैमरेज होने की बात बताई।
बेटियों ने लिया ये फैसला
इलाज के दौरान ही देर रात यशपाल की मौत हो गयी जिसके बाद उनकी बेटियों ने पिता का अंतिम संस्कार अपने हाथों से करने का फैसला किया। यशपाल की सबसे बड़ी बेटी कुसुम पीएचडी करने के बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है। दूसरी बेटी पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। तीसरे नम्बर की पूनम ने भी पीएचडी की है और वह वर्तमान में लखीमपुर खीरी जनपद में अध्यापक है। सबसे छोटी बेटी नीलम पीएचडी के बाद परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
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एसडीओ से थे रिटायर
बुलंदशहर के डिबाई क्षेत्र से एसडीओ के पद पर रिटायर्ड हुए यशपाल आर्य पिछले दो साल से मुरादाबाद में आकर रह रहे थे। परिवार में मौजूद चारों बेटियों ने अभी तक शादी नहीं की है। पिता की अर्थी को कंधा देकर श्मशान तक ले जाने और फिर मुखाग्नि देने वाली चारों बहनें पिता की मौत से काफी दुखी है।
पिता ने कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी
सबसे बड़ी बेटी कुसुम के मुताबिक उनके पिता ने कभी भी उनको किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी और उनको पड़ा-लिखा कर उस मुकाम तक ले आये जहां बेटे और बेटी में फर्क करने का सवाल ही नहीं होता। कुसुम अपनी बहनों के साथ पिता को मुखग्नि देकर सन्तोष महसूस कर रही है। वही उनकी बहनों का भी मानना है की अपने पिता के लिए वह बेटियों से ज्यादा बेटे के तौर पर थी लिहाजा इस आखिरी फर्ज को पूरा करने से भला वह क्यों पीछे हटती।
Published on:
18 May 2018 05:12 pm
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