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दरअसल जयाप्रदा ने 2004 में जब 15वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा तो आजम खान ने उन्हें पूरे तन-मन-धन से चुनाव लड़ाया और वे शानदार जीत दर्ज करके लोकसभा पहुंचीं। फिर जब 2009 का लोकसभा चुनाव आया तो उस समय आजम खान और उनके बीच दूरियां काफी बढ़ गईं। उनका कहना है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में आजम खान ने खिलजी की तरह उन्हें काफी परेशान किया और उन्हें हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन फिर भी रामपुर की जनता ने उन्हें जिताया। उनके द्वारा मीडिया में दिए गए इस बयान के बाद से ही रामपुर से एक बार फिर उनके चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हो गई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खबरों के लिए यहां क्लिक करें सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अन्दर खाने ऐसी चर्चा चल रही है कि जयाप्रदा अगला चुनाव रामपुर से लड़ सकती हैं। कयास यह भी हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार बन सकती हैं। हालांकि अभी वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हुईं हैं। जयाप्रदा 2004 से 2014 तक लगातार 10 वर्ष तक रामपुर से सपा की सांसद रहीं। लेकिन जब उनके राजनीतिक गुरु अमर सिंह के समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से संबंध विच्छेद हुए और उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने भी समाजवादी पार्टी से किनारा कर लिया।
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वह अमर सिंह के साथ राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गईं। राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी अजीत सिंह ने उन्हें बिजनौर व अमर सिंह को फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया लेकिन मोदी लहर के चलते दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा। खुद रालोद मुखिया अपनी परंपरागत सीट बागपत से चुनाव हार गए।
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