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यूपी के इस जिले में लगाए जा रहे मौत के इंजेक्शन, सच्चाई जानकर कांप जांएगे आप

ठाकुरद्वारा में तीन घोड़ों के नमूने पॉजिटिव आये। जिसके बाद डाक्टरों ने घोड़ों को इंजेक्शन के जरिये मौत की नींद सुलाया।

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moradabad

यूपी के इस जिले में लगाए जा रहे मौत के इंजेक्शन, सच्चाई जानकर कांप जांएगे आप

मुरादाबाद: जनपद में घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी की आहट से हडकंप मच गया है। करीब महीना भर पहले एक घोड़े की संदिग्ध मौत के बाद स्थानीय पशु चिकित्सकों ने मंडल भर से 100 से अधिक घोड़ों के खून के नमूने लेकर केंद्रीय अश्व अनुसन्धान केंद्र हिसार भेजे थे। जहां से ठाकुरद्वारा में तीन घोड़ों के नमूने पॉजिटिव आये। जिसके बाद डाक्टरों ने घोड़ों को इंजेक्शन के जरिये मौत की नींद सुलाया। इसके बाद से घोड़ा पालकों और स्थानीय लोगों में हडकंप मच गया है। क्यूंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। फ़िलहाल डॉक्टर अभी और रिपोर्ट आने का इन्तजार कर रहे हैं उसके बाद ही कुछ फैसला लिया जाएगा।

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इनके घोड़े हुए थे बीमार

ठाकुरद्वारा में भायपुर निवासी बुग्गी चालक मोहमद यासीन और मोहम्मद उमर के घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि हुई। जिसके बाद पशु चिकित्सा विभाग हरकत में आ गया। पहले तो घोडा स्वामी घोड़ों को मारने के लिए राजी नहीं हुए। लेकिन जब डाक्टरों ने उन्हें 25-25 हजार मुआवजा दिलाने की बात कही तो वे राजी हुए।

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ऐसे दिया गया मौत का इंजेक्शन

पशु चिकित्साधिकारी डॉ एसपी पाण्डेय व ग्लैंडर्स एवम फ़ारसी बीमारी के नोडल अधिकारी संजीव कुमार की देखरेख में पहले घोड़ों को दफनाने के लिए गांव से बाहर जेसीबी से गहरा गड्ढा खोदा गया। उसके बाद घोड़ों को हायरपेंटों सोडियम की ओवरडोज इंजेक्शन दिए गए। जिसमें बेहोशी में ही बिना तडपे घोड़ों की मौत हो गयी। उसके बाद उन्हें सुरक्षित तरीके से दफना दिया गया।

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अभी कई जगह की रिपोर्ट आना बाकी

अपर निदेशक पशु चिकित्सा डॉ राजेश कुमार ने बताया कि बीमारी को लेकर मंडल भर में विशेष अभियान चलाया गया। जिसमें अभी कुछ नमूनों की रिपोर्ट नहीं आई है। जैसे ही आएगी तब कार्यवाही की जायेगी। अभी 61 घोड़ों की रिपोर्ट आना बाकी है।

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ये होते हैं इस बीमारी के लक्षण

डाक्टरों के मुताबिक इस बीमारी से घोड़ों में बुखार के साथ साथ शारीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं। और निमोनिया जैसे लक्षण आ जाते हैं। इस बीमारी से घोडा खाना पीना छोड़ देता है। अभी तक इसका कोई सटीक इलाज नहीं है। इसलिए बीमार घोड़ों को मार दिया जाता है ताकि और घोड़ों में ये बीमारी न फैले।

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लोगों में भी बीमारी का खतरा

उधर घोड़ों में बीमारी के बाद घोड़ा पालकों और ग्रामीणों में भी दहशत फ़ैल गयी है। क्यूंकि घोड़ों के सम्पर्क में रहने के कारण इंसानों में भी बीमारी घर सकती है। फिलाहल पशु चिकित्सकों ने सभी घोडा पालने वालों के चेकप के लिए स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं। लेकिन अभी तक इंसानों में इसके लक्षण नहीं मिले हैं।


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