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Moradabad News: मोइन अहमद ने बताया क्रिकेटर से आईएएस बनने तक सफर, इंटरव्यू में इस सवाल ने उलझाया?

Moradabad News: मुरादाबाद के मोइन अहमद ने सिविल सेवा की परीक्षा में 296वीं रैंक हासिल की है। मोइन को यह सफलता चौथे प्रयास में मिली है। इससे पहले वे क्रिकेटर थे और साइबर कैफे चलाते ‌थे।  

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Moin Ahmed told the journey from cricketer to becoming IAS

Moradabad News: मोइन अहमद मुरादाबाद जनपद के डिलारी के गांव जटपुरा के निवासी है। इनके पिता जी रोडवेज में संविदा बस चालक है। मोइन अहमद ने सिविल सेवा चुनने के पीछे के कारण बताते हुए कहा कि जब वह बीएससी में पढ़ाई कर रहे थे तो आसपास की समस्याओं को देखते हुए सिविल सर्विस में जाने का विचार आया। लेकिन जब कोचिंग के बारे में सोचा तो आर्थिक समस्याएं सामने आ गईं। इससे निजात पाने के लिए साल 2016 में उन्होंने साइबर कैफे शुरू किया। साल 2018 तक साइबर कैफे से ही सिविल सेवा की कोचिंग के लिए रुपये इकट्ठा किए और साल 2019 में दिल्ली चले गए।

रुपये खत्म होने पर लिया ढाई लाख का लोन
मोइन ने बताया कि दिल्ली में रहने के दौरान उनके पास जो बचत के रुपये थे वह खर्च हो गए थे। वहां पर रहने और तैयारी में होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए उन्होंने ढाई लाख रुपये का लोन लिया। अब तक वह एक लाख रुपये चुका चुके हैं, जबकि डेढ़ लाख रुपये का लोन अभी भी बाकी है।

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मोइन ने कहा कि उन्हें हमेशा से जोखिम लेने की आदत है। जब वह साइबर कैफे चला रहे थे तो प्रत्येक महीने 30 से 40 हजार रुपये तक की आमदनी होने लगी थी, लेकिन उस आमदनी से संतुष्ट होने के बजाय उसे छोड़कर दिल्ली जाना चुना।

आईएएस बने से पहले क्रिकेटर बने का था सपना
मोइन अहमद ने बताया "साल 2016 में मैंने साइबर कैफे शुरू किया। वर्ष 2018 तक साइबर कैफे के माध्यम से ही मैंने कोचिंग के लिए रुपये इकट्ठा किए और वर्ष 2019 में मैं दिल्ली चला गया। इस से पहले में क्रिकेटर बना चाहता। छोटे स्तर के कई मैंच भी खेले फिर एक दिन आईएस बने का सपना देखा और तैयारी शुरू कर दी।"

मोइन के परिवार वालों ने हमेशा बढ़ाया हौसला
मोइन के पिता बली हसन संविदा पर बस चालक हैं और परिवार के पालन-पोषण का पूरा दायित्व उन पर ही है। मोइन ने बताया कि उनकी मां तसलीम जहां गृहिणी हैं। वह चार भाई और एक बहन हैं। बड़े भाई निजी कंपनी में दिल्ली में नौकरी करते हैं और मोइन दूसरे नंबर पर हैं। उन्होंने बताया कि उनके पापा के पास जमीन नहीं है। दादा के नाम जो जमीन है, उससे मिलने वाली धनराशि परिवार की अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करने में खर्च हो जाती है। परिवार में तमाम आर्थिक समस्याएं हैं, लेकिन उन्हें कभी इन परिस्थितियों से डर नहीं लगा।

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पहले तीन प्रयास में पास नहीं हो पाया प्रिलिम्स, चौथे में हुआ चयन
मोइन ने परास्नातक (राजनीति विज्ञान) से किया और फिर नेट जेआरएफ भी राजनीति विज्ञान से किया। सिविल सर्विस की परीक्षा के समय उन्होंने मुख्य विषय राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंध को चुना। पहला प्रयास तैयारी शुरू करने के तीन महीने के अंदर किया था, इसलिए उस वक्त कुछ समझ में नहीं आया पाया। दूसरे प्रयास में बहुत ज्यादा पढ़ लिया था। परीक्षा के दौरान हर प्रश्न ऐसा लग रहा था कि मैंने पढ़ा हुआ है। इसके कारण वह प्रयास भी विफल हो गया। वर्ष 2021 में तीसरे प्रयास में पेपर में पैटर्न बेसिक रहा था, जबकि उसको छोड़कर दूसरे स्तर को पढ़ा था। चौथे प्रयास में मैंने इन दोनों कमियों को दूर करते हुए चरणबद्ध तरीके से पढ़ाई की और सफलता प्राप्त की।

दिन में करीब सात से आठ घंटे करता था पढ़ाई
मोइन ने बताया कि वह प्रतिदिन सात से आठ घंटे पढ़ते थे। जब मन बोझिल होता था तो सोशल मीडिया देखता था। मेरे सभी सोशल मीडिया एप पर प्रोफाइल हैं। उस पर मैंने सभी मंत्रालयों को फॉलो किया है। ऐसे में जब भी किसी मंत्रालय की कोई योजना या अन्य गतिविधि होती है तो मुझे नोटिफिकेशन मिल जाता है और सूचनाएं एकत्र होती हैं।