
Independence Day Live : आजादी के 71 साल बाद भी रामपुर के लोग नहीं मना पा रहे जश्न
ओमपाल राजपूत@Patrika.com
रामपुर। आजादी के 71 साल बाद भी रामपुर जिले के हजारों ऐसे परिवार हैं, जो गरीबी की गुलामी भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। पत्रिका संवाददाता ने स्वतंत्रता दिवस पर जिले में रह रहे लोगों की पड़ताल करके यह जाना कि क्या वास्तव में रामपुर के लोग देश की आजादी का जश्न मना रहे हैं। यकीन मानिए, लोगों की जुबानी उनकी दिनचर्या की कहानी को सुनकर हर कोई हैरत में पड़ जाएगा। लेकिन ना तो उनकी हैरत पर सरकार को उनका ख्याल है और ना ही सरकार में बैठे मंत्रियों को।
इस रिपोर्ट से समझिए
आज़ादी से पहले रामपुर नवाबों का गुलाम था और देश अंग्रेजों का। लेकिन अब ना रामपुर का नवाब है और ना ही देश अंग्रेजों का गुलाम। बावजूद इसके स्थिति यह है कि इस जिले के हजारों परिवार गरीबी और बेबसी की गुलामी में जकड़े हुए हैं। ऐसा भी नही हैं कि सरकार को इन लोगों के बारे में पता नहीं है। हालांकि सरकार ने मनरेगा और नरेगा जैसी स्कीम चलाकर लोगों की स्थिती ठीक होने का सपना तो दिखाया है। लेकिन वह सपना पूरा नहीं हुआ। ना तो ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को मनरेगा -रेगा के जॉब कार्ड पर काम मिल रहा है और ना ही उन्हें कोई सरकार के इस जॉब कार्ड पर कोई उम्मीद बची है।
यह भी पढ़ें : इस महाविद्यालय में तिरंगा फहराने को लेकर हो गया विरोध
पत्रिका संवाददाता ने नगर के गली और चौराहों पर खड़े मजदूरों से बातचीत की और उनसे जाना कि आज 15 अगस्त के दिन पूरा देश 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, आप क्या कहेंगे, आप आजाद हैं। इसे लेकर दर्जनों मजदूरों का एक ही कहना था कि जो अमीर लोग हैं वही आजादी के मायने समझते हैं। हमारी आजादी तब हमें मिलती है जब हमें रोज काम मिलता है। उसके बदले पैसे मिलते हैं । उससे घर का चूल्हा जलता है और बच्चे पेट भर के खाना खाकर सो जाते हैं। तब हम कुछ घंटों की आजादी समझते हैं। क्योंकि जब सुबह होती है तो फिर वही दिनचर्या होती है कि हमें काम के लिए शहर जाना है और वहां टकटकी लगाए यह इंतजार करना पड़ता है कि कोई हमसे मजदूरी करवाने के लिए यह आएगा और 200 ₹400 की मजदूरी करवा कर रुपए हमारे हाथ में रख देगा।
नगर में रिक्शा चलाने वाले लोगों का कहना है कि अगर हम रिक्शा ना चलाएं तो शाम को हमारे घर का चूल्हा कैसे चलेगा, क्योंकि आजादी से पहले जो फैक्ट्री यहां लगी थी वह बंद पड़ी है। राजनेता नई फैक्ट्री लगवाने की बात तो करते हैं लेकिन पुरानी लगी फैक्ट्रियों को चलवाने की भी कोशिश नहीं करते। यही वजह है कि यहां के लोग भुखमरी और गरीबी की जिंदगी से जीने के लिए मजदूरी पर उतर आए हैं।
बता दें कि यूपी में कानपुर के बाद रामपुर का पहला नंबर उद्योग धंधों के लिए होता था। आज यहां पर उद्योग धंधे बंद हो गए हैं। तो कुछ बंद होने की कगार पर हैं। सरकार चुनाव के समय तो वादे तो बहुत करती है, लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद सब भूल जाते हैं। यही वजह है कि यहां के गरीब मजदूर किसान बेबसी और गरीबी की गुलामी कर रहे हैं।
Published on:
15 Aug 2018 01:53 pm
बड़ी खबरें
View Allमुरादाबाद
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
