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स्कूली बच्चों की सुरक्षा से बेफिक्र इस शहर के अधिकारी, जान हथेली पर रखकर आते जाते हैं बच्चे

स्कूलों में बच्चे सुप्रीम कोर्ट के मानकों के विपरीत वाले वाहनों से आ जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी संख्या ई रिक्शा और टेम्पो की है।

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स्कूली बच्चों की सुरक्षा से बेफिक्र इस शहर के अधिकारी, जान हथेली पर रखकर आते जाते हैं बच्चे

मुरादाबाद: स्कूल जाने वाले बच्चों के परिवहन को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर तमाम सरकारें सुधार के दिशा निर्देश दे चुकी हैं। बावजूद इसके अभी भी स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई चिंतित नजर नहीं आ रहा। इसका जीता जागता उदाहरण जुलाई में स्कूल खुलने के साथ ही जनपद व आसपास के जिलों में हुई स्कूली वाहनों की दुर्घटना में देखने को मिला था। जिम्मेदार विभाग कागजों में अभियान चलाकर सबकुछ ओके की रिपोर्ट दे रहे हैं। लेकिन अभी भी हमारे नौनिहाल जान हथेली पर रखकर स्कूल आने जाने को मजबूर हैं। इसी के तहत आज पत्रिका टीम ने शहर के कई स्कूलों में रियलिटी चेक किया। जो दावों के विपरीत मिला।

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खुलेआम ई रिक्शा और टैम्पो से जाते हैं बच्चे

शहर के लगभग सभी स्कूलों में बच्चे सुप्रीम कोर्ट के मानकों के विपरीत वाले वाहनों से आ जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी संख्या ई रिक्शा और टेम्पो की है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला द्रश्य पीली कोठी पर देखने को मिला यहां ट्रैफिक पुलिस के बावजूद भी स्कूल के बच्चे खुलेआम ई रिक्शा और टेम्पो पर लदकर जा रहे thथे। यही नहीं कुछ बच्चे तो टेम्पो के पीछे लटकर कर भी जा रहे थे। जबकि दो दिन पहले कटघर थाना क्षेत्र में इसी तरह लटके बच्चे टैम्पो पलटने से घायल हो गए थे। जिसमें आठ बच्चों को चोट आई थी।

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कई दुर्घटनाएं हो चुकीं हैं

ये हाल तब है जब पिछले दिनों हुई दुर्घटनाओं में कई स्कूली बच्चों की जान भी गयी थी। जिसके बाद हवा हवाई तरीके से कागजी अभियान चलाकर इतिश्री कर दी। जबकि रोजाना हजारों बच्चे जान हथेली पर रखकर जा रहे हैं।

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पता होने के बाद भी ला रहे हैं बच्चे

पत्रिका टीम ने जब ई रिक्शा चालकों से पुछा कि बच्चों को ई रिक्शा पर लाना मना है तो वो बोला कि हमें पता है। न स्कूल और न ही बच्चों के माता पिता ने मना किया है। इसी तरह और भी स्कूल के बच्चे ई रिक्शा और टैम्पो या बिना मानक के वाहन से आ जा रहे हैं।

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जिम्मेदार विभागों ने मूंदी आंखे

हैरानी होती है ये सब जिम्मेदारों की आंखों के नीचे होता है। लेकिन जब तक कोई हादसा नहीं हो जाता तब तक इनकी आंखों को कुछ भी नहीं दिखाई देता। वहीँ ये नजारा संभागीय परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस के अभियान की भी पोल खोल रहा है,कि अगर कार्यवाही हो रही है तो फिर भी ये तस्वीर क्यों है। इसका जबाब किसी के पास नहीं है शायद किसी और हादसे का इन्तजार है।


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