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World Environment Day: मुरादाबाद में दंपति ने छत से बेडरूम तक लगाए पौधे, देखने पहुंच रहे लोग, वजह जानकर होंगे हैरान

World Environment Day: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक ऐसे दंपति हैं। जिन्होंने घर की छत से अपने बेडरूम तक पेड़-पौधे लगा डाले। उनके इस कार्य को देखने और जानने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। इसके पीछे की वजह भी बहुत कॉमन है।

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Special story from Moradabad on World Environment Day

World Environment Day: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक ऐसे दंपति हैं। जिन्होंने घर की छत से अपने बेडरूम तक पेड़-पौधे लगा डाले। उनके इस कार्य को देखने और जानने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। इसके पीछे की वजह भी बहुत कॉमन है। उनके घर पर पौधों का नजारा देखने के बाद हर एक के मुंह से निकलता है भई वाह। वहीं पर्यावरण प्रेम का ऐसा जज्बा प्रदेश में पहली बार देखने को मिला है। आइए बताते हैं इन दंपति ने ऐसा क्यों किया और इसके फायदे क्या हैं?

5 मई को विश्व पर्यावरण दिवस है। हर साल पूरे देश में सरकारी तंत्र और जनमानस बड़े जोर-शोर के साथ पर्यावरण संरक्षण की मुहिम चलाता है, लेकिन एक से डेढ़ सप्ताह में यह मुहिम फिर शांत हो जाती है। हालांकि सबके लिए कुदरत का एक नियम हैं। पर्यावरण की देखभाल करने से शरीर स्वस्थ रहेगा। कोरोना काल में कुदरत के बनाए नियमों का पालन नहीं करने का परिणाम सभी ने देखा है। अभी भी कुदरत के नियमों का उल्लंघन करने से लोग चौगुना बीमार हो रहे हैं।

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ऐसे लोगों के लिए मुरादाबाद के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के रामगंगा विहार के रहने दंपति किसी मिसाल से कम नहीं हैं। यहां सर्राफा व्यवसायी अजीत अग्रवाल और उनकी पत्नी चारु अग्रवाल ने अपने घर में ही खुद के साथ परिवार के लोगों को शुद्ध हवा देने का इंतजाम किया है। उन्होंने घर की छत से लेकर अपने बेडरूम तक पेड़-पौधे लगाए हैं। पति-पत्नी सुबह पांच बजे उठने के बाद घर के पौधों को पानी देना शुरू कर देते हैं। ये दोनों पेड़-पौधों का उसी तरह ख्याल रखते हैं जैसे कोई अपने बच्चों की देखभाल करता है। इसका नतीजा ये है कि उनके घर की हरियाली देखकर हर शख्स का दिल हरियाली से भर जाता है। मन में चल रहे नकारात्मक विचार सकारात्मक विचारों में बदल जाते हैं। यानी कि घर में घुसने के साथ ही मन प्रसन्न हो जाता है।

कोरोना काल में पता चली पेड़-पौधों की अहमियत
मुरादाबाद के सिविल लाइंस क्षेत्र के रामगंगा विहार निवासी अजीत अग्रवाल और उनकी पत्नी चारु अग्रवाल बताती हैं कि तीन साल पहले कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से हो रही लोगों की मौतों ने उन्हें झकझोर दिया। उनके मोहल्ले में कई लोग जिंदगी और मौत से जूझते हुए दिखे। इस माहौल ने उन्हें पर्यावरण संरक्षण की ओर मोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने पेड़ बचाने और पौधों को सहेजने का बीड़ा उठा लिया।

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जहां दिखा पौधा वहीं से खरीद लिया
अजीत और चारु अग्रवाल बताते हैं "कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए उन्होंने पेडों के संरक्षण और पौधे रोपने की मुहिम शुरू की। हम दोनों पति-पत्‍नी अगर शहर से बाहर किसी रिश्तेदारी में घूमने के लिए भी जाते हैं तो वहां अलग तरह का पौधा दिखने पर तुरंत खरीद लाते हैं। परिवार के दूसरे सदस्यों को भी इस बारे में जानकारी होती है तो वो भी पहले फोन पर मालूम करते हैं और फिर पौधा ले आते हैं।" यानी कि चारु और अजीत के पर्यावरण प्रेम को देखकर इनका परिवार भी इस मुहिम से जुड़ गया है।

कुदरत के अनमोल तोहफे की सलामती सबका फर्ज
पर्यावरण प्रेमी चारु अग्रवाल ने बताया "जब हमें बिन मांगे कुदरत ने इतना सबकुछ दिया है तो हमारा भी फर्ज है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए खुदको पेश करना चाहिए। पौधे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। किस तरह हमने पौधे लगाए हैं।" वहीं पर्यावरण प्रेमी और चारु अग्रवाल के पति अजीत अग्रवाल ने बताया "पेड़ पौधों के बगैर हम लोग नहीं जी सकते हैं। कोरोना संक्रमण इसकी नजीर है। आक्सीजन की कमी से बहुत लोगों की मौत हो चुकी है। मुझे घर में आने के बाद बहुत अच्छा लगता है। इसलिए सभी लोग अपने-अपने घर में पौधे लगाएं।"

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