27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Travel Guide: इस शहर में स्थित प्राचीन काली मंदिर की क्या है मान्यता, जानिए कैसे पहुँचेंगे

Highlights शहर में रामगंगा नदी तट पर है मंदिर जून अखाड़ा करता है देखभाल कहते हैं कि देवी खुद प्रकट हुईं थीं

2 min read
Google source verification
kali_mandir.jpg

मुरादाबाद: वैसे तो शहर में कई प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल हैं, लेकिन धार्मिक स्थलों में रामगंगा तट पर प्राचीन काली माता मंदिर का विशेष महत्व है। ये सिद्ध पीठ है। इसमें तो वैसे वर्ष भर भक्तों का आना जाना रहता है। लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रों में यहां विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। जिस कारण इसकी रौनक और बढ़ जाती है। इसकी देखरेख जून अखाड़े द्वारा की जाती है। कहते हैं कि यहां जिसने भी मुराद मांगी वो खाली हाथ नहीं गया।

ये है मान्यता

शहर के उत्तर-पूर्व में रामगंगा नदी के किनारे लालबाग में मां काली का प्राचीन मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी की प्रतिमा जमीन से खुद प्रकट हुई थी। तब से इसे सिद्ध पीठ माना जाता है। इस मंदिर का रखरखाव जूना अखाड़ा करता है। उसी अखाड़े के महंत यहां पूजा-अर्चना भी करते हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर मंदिर के रखरखाव के लिए कमेटी भी बनी हुई है। इस मंदिर का निर्माण कब हुआ, इसके बारे में किसी के पास स्‍पष्‍ट जानकारी नहीं है। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि ये मंदिर अंग्रेजों के जमाने के पहले का है।

ये है खासियत

इस मंदिर की खासियत यह है कि ये रामगंगा नदी के किनारे स्थित है और इसके पास श्‍मसान घाट भी है। देश में शायद ही दुर्गा मां का ऐसा कोई सिद्धपीठ मंदिर हो, जो नदी के किनारे हो और पास ही में श्‍मसान घाट हो।

ऐसी है श्रद्धा

यही नहीं यहां जब भी कभी रामगंगा नदी में बाढ़ आई तो पानी काली मंदिर की सीढ़ियों से आगे नहीं आ पाया। इसलिए लोग इस मंदिर को और भी अधिक पूजनीय मानते हैं। लोगों के मुताबिक, जब तक काली मंदिर में विराजमान देवी का आशीर्वाद है, तब तक शहर को कोई खतरा नहीं है।

ऐसे पहुंचे

अगर आपको काली मंदिर जाना है तो मुरादाबाद तक ट्रेन सबसे अच्‍छा साधन है। इस रूट पर दिल्ली-लखनऊ दोनों तरफ से बड़ी संख्या में ट्रेनें हैं यही नहीं रोडवेज बसों के साथ प्राइवेट टैक्सी की भी अच्छी व्यवस्था है। चूंकि इसका रास्ता पुराने शहर में संकरी गलियों से है तो आपको ऑटो या ई रिक्शा का सहारा मंदिर तक पहुंचनें के लिए करना होगा।