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योगी सरकार का दावा फेल, अब बच्चों को नहीं मिले किताब. ड्रेस और जूते

locationमुरादाबादPublished: Aug 03, 2018 03:24:38 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

एक ही क्लास में सभी कक्षाओं के पढ़ रहे बच्चे

rampur

योगी सरकार का दावा फेल, अब बच्चों को नहीं मिले किताब. ड्रेस और जूते

रामपुर। केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश की सरकार देश के भविष्य कहे जाने वाले छात्र छात्राओं को पढ़ाने के लिये हर सत्र में लाखों करोड़ो रुपया खर्च करती है। बाबजूद बेसिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली शिक्षा की हकीकत कुछ और ही है। स्कूल खुले महीने से भी ज्यादा हो गए। लेकिन प्राथमिक विद्यालयों की हालत अभी भी खस्ता है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि अभी तक ज़िले के सभी बेसिक स्कूलों में ना तो छात्र छात्राओं को पहनने के लिए ड्रेस दी गई है और ना ही उन्हें पढ़ने के लिये पुस्तकें। ऐसे में सवाल ये की सरकार का जो स्लोगन है कि सब पढ़ें और सब आगे बढ़े, तो कैसे सब पढ़ेंगे और कैसे सब आगे बढ़ेंगे। क्योकि सरकार ने अभी तक छात्र छत्राओं को पर्याप्त मात्रा में पुस्तकें तक नहीं दी गई है।
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पत्रिका की पड़ताल में हुआ खुलासा-

रामपुर के चिकटी रामनगर गांव के बेसिक स्कूल के एक रूम के क्लास में ही कक्षा 1 से लेकर 5 तक के छात्र छात्राएं बैठे हैं। छोटे छात्र की तरह अब बड़े छात्र भी गिनती याद करने में लगे हैं। क्लास के दौरान जो मैडम उन्हें स्कूल में पढ़ाने का काम करती हैं सिर्फ खड़ी हैं और एक छात्र तेज आवाज में गिनती बोलता है जिसे बाकी के बच्चे दुहराते हैं। पूरे क्लास मे छात्र गिनती याद करते हैं क्योंकि उनके पास पढने को बुक नहीं है।
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कौन है जिम्मेदार-

साल 2018-19 के सत्र की शुरुआत हुए तीन माह का वक़्त बीत गया लेकिन अफसोस की बेसिक स्कूलों में सभी छात्र-छात्राओं को अभी तक ना ड्रेस मिली है, और ना ही उन्हें, पढने के लिए पुस्तकें। ऐसी स्थति मे देश के भविष्य कहे जाने वाले छात्रों के साथ जो धोखा किया जा रहा है उसका असल जिम्मेदार कौन हैं। जिम्मेदार सरकार है या सरकार के अफसर हैं।
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ज़िले की बेसिक शिक्षा अधिकारी लक्ष्मी ने पत्रिका संवाददाता को बताया कि साल 2018-19 के शिक्षण सत्र को तीन माह बीत गए, अभी तक तीस प्रतिशत पुस्तेकें आई हैं। ड्रेस भी अभी सभी छात्र छत्राओं को नही मिली है प्रयास जारी है। जल्द ही छात्राओं और छात्रों को पुस्तक दिलाने और ड्रेस दिलाने का काम किया जाएग।
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