
निर्माण के बाद अनुपयोगी पड़ा धमकन डैम।
रवींद्र सिंह कुशवाह, मुरैना. पहला पेंंच तो पुनर्वास का मामला लटक जाना ही रहा। बाद में घसटुआ घाट पर बना रपटा बैराज के डूब क्षेत्र में आ जाने से ऊंचाई वाले पुल का निर्माण भी नया पेंच बन गया।
अब पुल का निर्माण तो 24 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से शुरू करवा दिया गया है, लेकिन पुनर्वास का रोड़ा अब भी दूर नहीं हो पा रहा है। पुनर्वास का पेंच दूर हो जाता तो तीन साल पहले ही डैम में पानी भरा जा सकता था और इसका लाभ जौरा व सुमावली क्षेत्र के लोगों को भूजल स्तर बढऩे के रूप में मिलता और कोतवाल व पिलुआ डैम से जुड़ी पेयजल परियोजनाओं को भी इससे ज्यादा समृद्धि मिल पाती। लेकिन बैराज के डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों के 215 लोगों का पुनर्वास समस्या बना हुआ है। हालांकि 132 लोगों ने मकान निर्माण के लिए भूखंड खरीदने पांच-पांच लाख रुपए ले लिए हैं, लेकिन भवन और अन्य संपत्ति का मुआवजा वितरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने से उनका पुनर्वास भी नहीं हो पा रहा है।
83 लोगों के लिए भूखंड बड़ी चुनौती
विस्थापित होने वाले 215 लोगों के सामने शासन ने दो विकल्प रखे थे। या तो मकान के लिए भूखंड ले लें या भूखंड अपनी मनपसंद जगह पर खरीदने के लिए प्रति परिवार पांच लाख रुपए ले लें। 132 लोगों ने पांच लाख रुपए ले लिए थे। लेकिन गदालपुरा व आसपास के 83 परिवारों ने मकान बनाने के लिए भूखंड की मांग की थी। हालांकि जल संसाधन विभाग ने बानमोर क्षेत्र में बरउआ नहर के पास भूखंड दिए थे, लेकिन कानूनी पेंच से यह प्रक्रिया निरस्त हो गई।
चंबल कॉलोनी की जगह पर भी पेंच
बरउआ नहर के पास जमीन कानूनी दांव-पेंच में उलझ जाने से शासन ने जल संसाधन विभाग की मुरैना नगर में चंबल कॉलोनी स्थित जमीन पर 83 परिवारों को भूखंड आवंटन की कवायद शुरू की। लेकिन इसमें भी नियम आड़े आए और अब यह जमीन भी नहीं दी जा सकती है। विकल्प के तौर पर एबी रोड किनारे नए आरटीओ कार्यालय के पास 83 परिवारों को भूखंड उपलब्ध कराने की कवायद की जा रही है। इसका प्रस्ताव जा चुका है, लेकिन आवंटन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
60 गांवों को मिलेगा जल स्तर का फायदा
आसन नदी का धमकन बैराज उपयोग में आ जाने के बाद सुमावली क्षेत्र के 60 गांवों के भूजल स्तर में सुधार की उम्मीद है। ङ्क्षसचाई के अभाव में सैकड़ों बीघा बंजर रह जाने वाली जमीन को भी सिंचाई का इंतजाम हो सकेगा। वहीं अल्प वर्षा की स्थिति में धमकन बैराज से कोतवाल और पिलुआ डैम को पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। हालांकि ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पानी रपटे के लेबल तक ही डैम में रोका जा सकता था, लेकिन प्रशासन ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि वर्ष 2020 में वर्षा काल में आसन बैराज में पानी का भराव किया जाना था, लेकिन ग्राम पुरा हथरिया (गदाल का पुरा) एवं आसपास के लगभग 30 ग्रामों के लोगों के विरोध के कारण यह संभव नहीं हो पाया।
पुल निर्माण अगले साल तक होगा पूरा
धमकन बैराज में पानी भरने में एक और व्यावहारिक अड़चन थी। यहां पानी भरने से धमकन-घसटुआ मार्ग पर आवागमन के लिए बना पुराना रपटा वर्ष भर डूब में रहेगा, जिससे करीब 60 गांवों के आवागमन का रास्ता प्रभावित होगा। इसलिए अब यहां 24 करोड़ रुपए की लागत से नया पक्का और ऊंचा पुल निर्माण कराया जा रहा है, जो वर्ष 2023 तक पूरा हो जाएगा।
इन गांवों को मिलेगा जल स्तर बढऩे का लाभ
आसन बैराज में पानी भरने से हथरिया, गदालपुरा सहित निटहरा, कीरतपुर, दोहरा, बगियापुरा, नूरपुर सहित आधा सैकड़ा गांवों को लाभ मिलेगा। मैना-बसई, घुरैया-बसई, टिकटौली, सुमावली, बड़ोना, गणेशपुरा क लोगों को भी लाभ मिल सकता है।
फैक्ट फाइल
2016 में हुई आसन बैराज निर्माण की कवायद।
2019में बनकर तैयार हो गया था और पानी भरा जाना था।
2020 में प्रयास करने पर ग्रामीणों ने कर दिया था विरोध।
215परिवारा हो रहे हैं विस्थपित आसन बैराज के निर्माण से।
132 परिवारों ने भूखंड के लिए 5-5 लाख रुपए लिया मुआवजा।
83 परिवारों ने भूखंड उपलब्ध कराने की मांग रखी है, जो नहीं हो पा रही पूरी।
कथन-
हमें पहले बरउआ नहर के पास 83 भूखंड दिए गए थे, लेकिन वहां कानूनी विवाद था। बाद में चंबल कॉलोनी में भूखंड के लिए भी औपचारिकताएं पूरी हो कर फाइल पीएस के पास पहुंचा दी गई, लेकिन आवंटन नहीं हो पा रहा है।
धारा सिंह कुशवाह, ग्रामीण, गदालपुरा, सुमावली।
विस्थापितों को चंबल कॉलोनी में भूखंड आवंटन की प्रक्रिया मानकों के अनुरूप नहीं थी। अब एबी रोड पर आरटीओ कार्यालय के पास जमीन का प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है, जल्द ही आवंटन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद बाकी प्रक्रिया भी जल्द पूरी की जाएगी।
आरपी झा, मुख्य अभियंता, जल संसाधन , ग्वालियर
Published on:
06 Jan 2022 07:37 pm
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